मध्यप्रदेश विधानसभा में अध्यक्ष के चुनाव के बाद उपाध्यक्ष का चुनाव भी निर्विरोध नहीं हो सका। गुरूवार को दोनों ही प्रमुख दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे। अध्यक्ष के चुनाव की तरह ही उपाध्यक्ष पद का चुनाव भी भारी हंगामें के बीच हुआ। सिर्फ अंतर इतना था कि इस बार बी जे पी ने सदन से बर्हिगमन नहीं किया। चुनाव के पहले विधानसभा में हंगामे की स्थिति बनी थी। विपक्ष के सदस्यों ने आसंदी के करीब पहुंचकर जमकर नारेबाजी की। हंगामा देखकर अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने 10 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। लेकिन कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर भी हंगामा जारी रहा। अध्यक्ष प्रजापति ने हंगामें के बीच ही हिना कांवरे को उपाध्यक्ष बनाने की घोषणा की। सदन की कार्रवाई हंगामें ही चलती रही। इस शोर-शराबे में ही 22 हजार करोड़ से अधिक राशि का अनुपूरक बजट सहित अन्य कार्य निपटाएं गये और सदन की कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी। विधानसभा के बाहर पूर्व गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि इसकी शिकायत राष्ट्रपति से की जाएगी।गुरूवार को जैसे ही हिना कांवरे के नाम का ऐलान हुआ, वैसे ही मुख्य विपक्ष बी जे पी के सदस्यों ने एक बार फिर हंगामा किया और अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के इस्तीफे की मांग पर अड़ गया। बीजेपी ने जगदीश देवड़ा को मैदान में उतारा था। परंपरा के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष सत्ता पक्ष और उपाध्यक्ष विपक्ष का होता है, लेकिन स्पीकर पद के लिए बीजेपी ने अपना प्रत्याशी उतारकर इस परंपरा को तोड़ दिया था, इसलिए कांग्रेस ने उसे आगे बढ़ाते हुए उपाध्यक्ष के लिए हिना कांवरे को उतार दिया। सदन की कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई तो अध्यक्ष ने 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। विपक्ष ने आसंदी पर पक्षपात करने का आरोप लगाया। पूर्व सीएम और विधायक शिवराज सिंह चौहान ने भी सदन में कहा कि पहले दिन से ही विपक्ष को नजरअंदाज किया जा रहा है। चौहान और गोपाल भार्गव ने आसंदी की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा पहले ही दिन अध्यक्ष ने अपनी निष्पक्षता खो दी है। उपाध्यक्ष पद के लिए सिर्फ हिना कांवरे का नाम पढ़े जाने पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीता शरण शर्मा ने आपत्ति जताई। विपक्ष उपाध्यक्ष के पद को लेकर वोटिंग न कराए जाने से खफा था। उसने अध्यक्ष प्रजापति पर पक्षपात के आरोप लगाए। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भी विधानसभा अध्यक्ष पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अध्यक्ष ने विपक्ष की आवाज दबाने का काम किया है। आपत्ति के बाद अध्यक्ष ने पांचों प्रस्ताव पढ़े, 4 प्रस्ताव हिना के थे और 5वां जगदीश देवड़ा का। हंगामा इस पर हुआ कि अध्यक्ष वोटिंग कराने के लिए सीताशरण शर्मा की बात सुनने को तैयार नहीं थे। विपक्ष का हंगामा चलता रहा और राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा शुरू हो गयी। विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे ने की चर्चा की शुरुआत की। उसी हंगामे के बीच सदन में माल और सेवा कर संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया है। प्रस्ताव मंत्री ब्रजेन्द्र सिंह राठौर ने प्रस्ताव रखा था। इसी बीच अनुपूरक मांगों पर भी चर्चा को पूरा कर लिया गया।
Thursday 10 January 2019
मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस की हिना कांवरे डिप्टी स्पीकर बनी
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