Thursday, 4 January 2018

राज्यसभा में कांग्रेस का अड़ंगा 3 तलाक बिल पर

राज्यसभा में कांग्रेस का अड़ंगा 3 तलाक बिल पर


बहुचर्चित तीन तलाक बिल को राज्यसभा में पास कराना मोदी सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है. लोकसभा में सरकार के पास बहुमत था और कांग्रेस ने भी बिल को पास करवाने में साथ दिया. लेकिन जैसे ही बात राज्यसभा की आई कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने आंकड़े की ताकत दिखाई. और बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की. आज शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है और सरकार के पास भी आखिरी बिल पास करवाने का आखिरी मौका.
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के विरोध के चलते तीन तलाक बिल गुरुवार को दूसरे दिन भी राज्यसभा से पारित नहीं हो सका. सदन में सत्ता पक्ष और विपक्षी नेताओं के हंगामे के बाद उपसभापति पीजे कुरियन ने सदन की कार्यवाही को शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. गुरुवार को तीन तलाक बिल पर बहस के लिए 5 घंटे का समय तय हुआ था, लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण आधे घंटे ही बहस चल सकी.
मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है बिल
बहस की शुरुआत होते ही विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'जो बिल लाया गया है, हम सब उसके खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि यह बिल मुस्लिम महिलाओं के नाम पर लाया गया है, पर इसमें जो प्रावधान हैं, वे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को खत्म करने वाले हैं. इस बिल में मुस्लिम महिलाओं के पति को जेल में डालने का प्रावधान किया गया है.
आज़ाद ने कहा कि अगर मुस्लिम महिला के शौहर को जेल में डाल दिया जाएगा, तो उनको खर्चा कौन देखेगा? मुस्लिम महिला को आखिर कौन खिलाएगा. बिल में सरकार ऐसा प्रावधान लाए, जिसमें मुस्लिम महिलाओं को खर्चा देने का प्रावधान हो.
सरकार का तर्क
सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि लाए गए दोनों प्रस्ताव वैध नहीं है. इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया. जेटली ने कहा, 'जो प्रस्ताव आए वो 24 घंटे पहले आने चाहिए थे, लेकिन नहीं आए. पहली आपत्ति है कि रिजल्यूशन कहता है कि हम नाम देंगे और बाकी के नाम ले लिए जाएंगे. सेलेक्ट कमेटी एक होनी चाहिए जो हाउस के कैरेक्टर को प्रजेंट करे. दोनों प्रस्ताव हाउस के कैरेक्टर को रिप्रजेंट नहीं करते.' जेटली ने आगे कहा कि बिल के खिलाफ साजिश करने वालों को कमेटी में कैसे रखा जा सकता है. ये नियम है कि ऐसा करने वाले अपने आप कमेटी से डिसक्वालीफाई हो जाते हैं.
लोकसभा में हो चुका है पास

आपको बता दें कि बिल का दोनों सदनों में पास होना जरूरी है, उसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. लोक सभा में यह बिल 28 दिसंबर को पेश किया गया था जो 7 घंटे तक चली बहस के बाद पास हो गया था. बहस के बाद कई संशोधन भी पेश किए गए, लेकिन सदन में सब निरस्त कर दिए गए. इनमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी के भी 3 संशोधन थे.

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