देश के अलग- अलग राज्यों में फंसे श्रमिकों के
लिए चलाई जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर फिर सियासत गरमाने लगी है। केंद्र
व राज्य सरकार के बीच अब सोशल मीडिया में आरोप- प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
इसकी शुरुआत केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल के एक ट्वीट से हुई। इसमें गोयल ने
छत्तीसगढ़, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और झारखंड पर श्रमिक ट्रेनों को
अनुमति नहीं देने का आरोप लगाया।
इस पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने
पलटवार कर रेल मंत्री के बयान को तथ्यहीन बताया। कहा कि हम तो 30
ट्रेनें मांग रहे हैं, अब तक 14 ट्रेन की
अनुमति मिली है। मुख्यमंत्री बघेल ने रेल मंत्री को रि-ट्वीट करते हुए यह भी बता
दिया है कि इन ट्रेनों के लिए राज्य सरकार अब तक एक करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान
भी कर चुकी है। बघेल ने रेल मंत्री के बयान को तथ्यहीन और आधारहीन करार दिया है।
इससे पहले रेल मंत्री गोयल ने ट्वीट किया कि 'रेलवे
रोजाना 300 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाकर कामगारों को उनके घर पहुंचाने के
लिए तैयार है, लेकिन मुझे दुख है कि कुछ राज्यों जैसे पश्चिम
बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ व झारखंड की सरकारें इन ट्रेनों को
अनुमति नहीं दे रही हैं, जिससे श्रमिकों को घर से दूर कष्ट सहना
पड़ रहा है'।
जवाब में बघेल ने 14 ट्रेनों की सूची
के साथ ट्वीट किया। बता दें कि इससे पहले स्पेशल ट्रेनों में सफर करने वाले
श्रमिकों के किराया को लेकर भी जुबानी जंग हो चुकी है। राज्य सरकारों का दावा है
कि इन ट्रेनों का पूरा किराया राज्य दे रहे हैं। वहीं, केंद्रीय नेता
कह रहे हैं कि किराया का 85 फीसद रेलवे वहन कर रहा है, राज्यों
को केवल 15 फीसद ही देना है। हालांकि रेलवे आने-जाने और
रिक्त सीटों का किराया भी राज्यों से वसूल रहा है।
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