इंदौर ! प्रदेश के मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद मध्य
प्रदेश लोकसेवा आयोग ने बढ़ी हुई फीस वापस ले ली है. इससे प्रदेशभर के छात्रों में खुशी दौड़ गई. अभी हाल ही में एमपीपीएससी ने आवेदन और परीक्षा फीस में दोगुने से ज्यादा
की बढ़ोतरी कर दी थी, जिसका विरोध
प्रदेशभर के छात्र कर रहे थे. साथ ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इस पर कड़ी नाराजगी
जताई थी. उन्होंने बगैर जानकारी दिए इस तरह का फैसला लेने पर तत्काल पुनर्विचार कर
फीस वृद्धि पर वापस लेने को कहा था और इसके बाद आयोग द्वारा फीस वापस ले ली गई है.
एमपीपीएससी
ने किसान कल्याण विभाग में सहायक संचालक के लिए नौकरियां निकाली थीं, जिसमें ऑनलाइन आवेदन और परीक्षा फीस सामान्य
वर्ग के लिए 1200 से बढ़ाकर 2500 रुपए कर दी गई थी. जबकि आरक्षित वर्ग के लिए 600 से बढ़ाकर 1250 रुपए कर दी थी. राज्य सेवा परीक्षा और राज्य वन सेवा परीक्षा 2019 के नोटिफिकेशन के साथ इसकी फीस तीन गुना बढ़ा
दी थी. इस तरह फीस बढ़ने से बेरोजगार युवाओं पर आर्थिक बोझ बढ़ गया, जिसे सीएम कमलनाथ के संज्ञान में लाया गया था.
सीएम ने फीस बढ़ाने के फैसले को पूरी तरह से अनुचित बताया था और ये भी कहा था उनके
संज्ञान में लाए बिना कैसे फीस बढ़ा दी गई और अब फीस वापसी का फैसला लिया गया है.
एमपीपीएससी
परीक्षा में फीस वृद्धि को लेकर ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के विधायक
प्रवीण पाठक ने भी मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र लिखकर परीक्षा फीस को कम करने का
निवेदन किया था. शनिवार लिखे पत्र में उन्होंने सबसे पहले तो एमपीपीएससी के जरिए
भर्ती निकाले जाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ को धन्यवाद दिया था. इसके साथ ही
उन्होंने भर्ती परीक्षा के आवेदन के बढ़े हुए शुल्क पर कहा कि आवेदन शुल्क काफी बढ़ा
हुआ है. बेरोजगार आवेदकों से इतना शुल्क लेना उन पर भार के समान होगा इसलिए ये
वापस होना चाहिए.
मध्यप्रदेश
लोकसेवा आयोग के चेयरमैन भास्कर चौबे का कहना है कि आयोग ने बढ़ते खर्चों को देखते
हुए फीस बढ़ाने का फैसला लिया था,
लेकिन
सरकार की इच्छा फीस बढ़ाने की नहीं है. इसलिए मुख्यमंत्री की इच्छा का पालन करते
हुए फीस बढ़ोत्तरी का फैसला वापस ले लिया गया है, क्योंकि
सारी व्यवस्थाएं सरकार को देखनी पड़ती हैं. सरकार नहीं चाहती कि फीस बढ़े इसलिए
फीस वृद्धि वापस ले ली गई.
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