
वित्त वर्ष 2017-18 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 18 फीसद बढ़कर 28.25 लाख करोड़ रुपये हो गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को ये आंकड़े जारी किए। भारतीय प्रत्यक्ष निवेश कंपनियों की परिसंपत्तियों और विदेशी देनदारियों की गणना संबंधी 2017-18 के आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 4,33,300 करोड़ रुपये बढ़कर 28,24,600 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसमें पिछले निवेशों का नया मूल्यांकन भी शामिल है। रिजर्व बैंक के मुताबिक गणना के हाल के दौर में 23,065 कंपनियों ने पूछे गए सवालों का जवाब दिया, जिसमें से 20,732 कंपनियों ने मार्च 2018 में अपनी बैलेंसशीट में एफडीआई या ओडीआई निवेश को दर्शाया है। इस दौरान भारतीय कंपनियों का विदेशों में निवेश (ओडीआई) 5 फीसद बढ़कर 5.28 लाख करोड़ रुपये हो गया। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मॉरीशस से (19.7 फीसद) हुआ है। इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर और जापान का स्थान है। दूसरी तरफ भारतीय कंपनियों के विदेश में निवेश के मामले में 17.5 फीसद के साथ सिंगापुर सबसे प्रमुख स्थान रहा। इसके बाद नीदरलैंड, मॉरीशस और अमेरिका का स्थान रहा है। कुल एफडीआई में विनिर्माण क्षेत्र का बड़ा हिस्सा रहा है। इसके अलावा सूचना और दूरसंचार सेवाओं, वित्तीय और बीमा गतिविधियां एफडीआई पाने वाले अन्य प्रमुख क्षेत्र रहे हैं।
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