1977 के बाद पहली बार विपक्ष की ऐतिहासिक रैली
विपक्ष का ऐसा जमावड़ा 41 साल बाद देखने को मिलेगा. इससे पहले ज्योति बसु ने कांग्रेस को उखाड़ फेंकने के लिए 7 जून, 1977 को संयुक्त विपक्ष की मुट्ठी तान दी थी. इसके बाद इस ऐतिहासिक मैदान में उतने लोग कभी नहीं आए. ममता की रैली में चंद्रशेखर राव को छोड़कर विपक्ष के अधिकांश नेता पहुंच रहे हैं. इस रैली में कांग्रेस से लेकर जेडीएस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, एनसीपी, आरजेडी, एसपी, बीएसपी और टीडीपी, आम आदमी पार्टी समेत कम से कम 20 दलों के नेता, कई मुख्यमंत्री, कई पूर्व मुख्यमंत्री और दर्जनों पूर्व मंत्री ब्रिगेड के मैदान में अपनी लोकप्रियता का इम्तिहान देंगे. सबके निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे
295 सीटों पर असर रखने वाले नेताओं का जमावड़ा
मतलब कम से कम 295 सीटों पर असर रखने वाले नेता एक साथ कोलकाता के ब्रिगेड मैदान के मंच पर मौजूद रहेंगे. हालांकि इसमें कांग्रेस के दबदबे वाली सीटें शामिल नहीं हैं, जबकि मंच पर खड़गे समेत कांग्रेस के दो-दो नेता मौजूद होंगे. राहुल गांधी खुद नहीं जा पा रहे, इसलिए उन्होंने चिट्ठी भेजी है कि मोदी सरकार के खिलाफ इस वक्त पूरे देश में आक्रोश है और टीएमसी के इस प्रयास का कांग्रेस पार्टी पूरा समर्थन करती है.
बीजेपी ने बताया घबराहट
28 दलों के साथ मिलकर दिल्ली में सरकार बनाने वाली बीजेपी कोलकाता में 20 दलों के उद्घोष को घबराहट बता रही है. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि इन दलों में अकेले बीजेपी से लड़ने की ताकत नहीं है इसलिए हाथ मिला रहे हैं
ज्योति बसु के कद की बराबरी करेंगी ममता
ममता बनर्जी ने ब्रिगेड की रैली को सफल बनाने में पूरी ताकत झोंक दी है और इस कोशिश की पीछे उनकी तमन्ना केवल एक है, पश्चिम बंगाल की राजनीति में ज्योति बसु के विशाल कद की बराबरी. तमाम दलों के नेता कोलकाता पहुंचने शुरू हो गए हैं. एक ऐसा माहौल बनाने की कोशिश हो रही कि देश का माहौल नरेंद्र मोदी के खिलाफ हो चुका है, उनकी नीतियां जनविरोधी हैं और नेता उनका साथ छोड़ रहे हैं. ममता बनर्जी का मकसद है कि एक संदेश पूरे देश में भेजा जाए कि नरेंद्र मोदी से लड़ने के लिए समूचा विपक्ष एक साथ खड़ा है.
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