जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन में मतभेदों के चलते BJP नेताओं का दावा कर्नाटक में होगी वापसी
कर्नाटक में भले ही सब कुछ प्लान के मुताबिक न हुआ हो पर बीजेपी को भरोसा है कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन में ‘अंतर्निहित मतभेदों’ की वजह से वह राज्य में वापसी कर सकती है। राज्य में तीन दिनों तक सत्ता को लेकर चली रस्साकशी बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद समाप्त हुई। वह पद पर बने रहने के लिए 7 अतिरिक्त विधायकों का समर्थन जुटाने में नाकाम रहे।
पार्टी के एक नेता ने 2019 के लोक सभा चुनावों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘हम भले ही लड़ाई हार गए हों, लेकिन हम जंग जीतेंगे।’ भाजपा के कई नेताओं ने कहा कि कर्नाटक में सरकार बनाने का उनका प्रयास दो कारकों से प्रेरित था- पहला, उनका मानना था कि जनादेश पार्टी के पक्ष में है। दूसरा, राज्य में उनकी सरकार होने से दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों में पार्टी की राजनीतिक सफलता की संभावनाओं को बल मिलता।
लिंगायतों पर बीजेपी को भरोसा
आपको बता दें कि कर्नाटक को छोड़कर भगवा पार्टी किसी अन्य दक्षिणी राज्य में बड़ी चुनौती पेश नहीं कर पाई है। BJP के नेताओं का मानना है कि मतदाताओं के एक हिस्से खासतौर पर लिंगायतों का पार्टी के पीछे लामबंद होना उसे राज्य में प्रमुख ताकत बनाए रखेगा। येदियुरप्पा सरकार के नाटकीय तरीके से गिरने को पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
विपक्षी पार्टियों ने दावा किया था कि बीजेपी ने उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश की लेकिन बुरी तरह विफल रही। हालांकि बीजेपी ने इन आरोपों का खंडन किया है। अब कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार बनने जा रही है और बुधवार को जेडीएस के नेता कुमारस्वामी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। हालांकि बीजेपी का मानना है कि अब भी कई कारक ऐसे हैं, जो राज्य में उसकी वापसी में मदद करेंगे।
कर्नाटक में भले ही सब कुछ प्लान के मुताबिक न हुआ हो पर बीजेपी को भरोसा है कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन में ‘अंतर्निहित मतभेदों’ की वजह से वह राज्य में वापसी कर सकती है। राज्य में तीन दिनों तक सत्ता को लेकर चली रस्साकशी बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद समाप्त हुई। वह पद पर बने रहने के लिए 7 अतिरिक्त विधायकों का समर्थन जुटाने में नाकाम रहे।
पार्टी के एक नेता ने 2019 के लोक सभा चुनावों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘हम भले ही लड़ाई हार गए हों, लेकिन हम जंग जीतेंगे।’ भाजपा के कई नेताओं ने कहा कि कर्नाटक में सरकार बनाने का उनका प्रयास दो कारकों से प्रेरित था- पहला, उनका मानना था कि जनादेश पार्टी के पक्ष में है। दूसरा, राज्य में उनकी सरकार होने से दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों में पार्टी की राजनीतिक सफलता की संभावनाओं को बल मिलता।
लिंगायतों पर बीजेपी को भरोसा
आपको बता दें कि कर्नाटक को छोड़कर भगवा पार्टी किसी अन्य दक्षिणी राज्य में बड़ी चुनौती पेश नहीं कर पाई है। BJP के नेताओं का मानना है कि मतदाताओं के एक हिस्से खासतौर पर लिंगायतों का पार्टी के पीछे लामबंद होना उसे राज्य में प्रमुख ताकत बनाए रखेगा। येदियुरप्पा सरकार के नाटकीय तरीके से गिरने को पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
विपक्षी पार्टियों ने दावा किया था कि बीजेपी ने उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश की लेकिन बुरी तरह विफल रही। हालांकि बीजेपी ने इन आरोपों का खंडन किया है। अब कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार बनने जा रही है और बुधवार को जेडीएस के नेता कुमारस्वामी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। हालांकि बीजेपी का मानना है कि अब भी कई कारक ऐसे हैं, जो राज्य में उसकी वापसी में मदद करेंगे।
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