सुप्रीम कोर्ट के 4 जज क्यों बागी
हुए? तकरार की वजह क्या ?
सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने शुक्रवार को
प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा के काम करने के तरीके
पर सवाल उठाया. सवाल उठाने वाले ये सुप्रीम के चार जज, जस्टिस
चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन
लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ थे.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जस्टिस चेलमेश्वर ने
कहा, 'राष्ट्र और न्यापालिका के प्रति हमारी जिम्मेदारी है, जिसके
कारण हम यहां हैं. हमने मुद्दों को लेकर चीफ जस्टिस से बात की, लेकिन
उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी. लोकतंत्र इस तरह से जीवीत नहीं रह सकता है.'
जस्टिस चेलमेश्वर जाहिर तौर पर मेडिकल काउंसिल
ऑफ इंडिया (एमसीआई) के उस मामले का उल्लेख कर रहे थे, जिसमें पिछले
साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट के दो शीर्ष जजों के बीच टकराव देखा गया था. नवंबर
में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस चेलमेश्वर के बीच पैदा हुए मतभेद के बाद से
ही अटकलें लगाई जा रही थीं कि कई अन्य जज चीफ जस्टिस के कामकाज के तरीके से खुश
नहीं थे.
एमसीआई केस में क्या हुआ था?
मेडिकल कॉलेज घूस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 8
नवंबर को जस्टिस चेलमेश्वर की खंडपीठ के समक्ष एक याचिका लगाई गई थी. याचिकाकर्ता
सीजेएआर (कैंपेन फॉर जुडिशियल अकाउंटेबिलिटी ऐंड रिफॉर्म्स) सीबीआइ जांच के एक
मामले में एसआइटी से स्वतंत्र जांच की मांग कर रहा था. मामला हवाला की एक साजिश का
था, जिसमें ब्लैक लिस्टेड मेडिकल कॉलेज को नियमित कराने के लिए कथित तौर
पर शीर्ष जजों पर घूस लेने के आरोप लगाए गए थे.
जस्टिस चेलमेश्वर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई
के लिए 10 नवंबर का दिन तय किया. तभी न्यायमूर्ति चेलमेश्वर की अदालत में 9
नवंबर को एक याचिका लगी. अधिवक्ता प्रशांत भूषण और दुष्यंत देव ने मामले में
तत्काल सुनवाई की मांग की. जिसके बाद जस्टिस चेलमेश्वर अगले दिन, 9
नवंबर को मामले की सुनवाई के लिए मान गए.
उन्होंने मामले की सुनवाई के लिए पीठ ने पांच
शीर्ष जजों की एक संविधानपीठ के पास इसे भेज दिया. लेकिन इससे पहले कि जस्टिस
चेलमेश्वर मामले में अपना लिखित आदेश जारी करते, एक मसौदा आदेश आ
गया.
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