देश के 13वें उपराष्ट्रपति के रूप में वेंकैया नायडू ने ली शपथ
एम वेंकैया नायडू ने देश के 13वें उपराष्ट्रपति पद के रूप में शुक्रवार को शपथ ली. शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पीएम नरेंद्र मोदी , पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह सहित कई मंत्री और नेता मौजूद थे. शपथ ग्रहण के पहले नायडू राजघाट पहुंचे और महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की. फिर दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर दीनदयाल की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. उन्होंने पटेल चौक पर सरदार पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया और उसके बाद शपथ ग्रहण के लिए राष्ट्रपति भवन पहुंचे. जहां राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नाडयू को उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलायी.
शपथ ग्रहण के बाद अब वे संसद भवन जायेंगे जहां संसदीय कार्यमंत्री और राज्यमंत्री उनका स्वागत करेंगे. वेंकैया नायडू यहां पर भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे. 11 बजे वह सदन में प्रवेश कर जाएंगे. आपको बता दें कि भैरो सिंह शेखावत के बाद वेंकैया नायडू आरएसएस पृष्ठभूमि के दूसरे उपराष्ट्रपति हैं. उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी विपक्ष के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी को दोगुणे से अधिक वोटों से हराया.
वेंकैया नायडू आंध्रप्रदेश के नेल्लूर के रहने वाले हैं. वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं और वाजपेयी युग से ही संगठन में अहम भूमिका निभाते रहे हैं. वेंकैया के पास जबरदस्त संगठन कौशल है और अपने हास्य-व्यंग के लिए वे मशहूर रहे हैं.
वेंकैया नायडू संगठन के आदमी रहे हैं. वाजपेयी-आडवाणी-जोशी के बाद के सालों में पार्टी के चार प्रमुख नेता उभरे उनमें एक वेंकैया नायडू हैं. तीन अन्य नेता राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज व अरुण जेटली हैं. प्रमोद महाजन का इस समय तक देहांत हो चुका था और संभावनाओं वाले नरेंद्र मोदी गुजरात तक सीमित थे. वेंकैया नायडू और अरुण जेटली वाजपेयी युग के बाद दो ऐसे नेता थे, जिन्हें अहम चुनावी राज्यों की जिम्मेवारी दी जाती थी. राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे अहम राज्य उस दौर में वेंकैया देखा करते थे, जबकि जेटली उत्तरप्रदेश व बिहार जैसे राज्य के प्रभार में होते थे. वेंकैया भाजपा में सबसे बड़े दक्षिण भारतीय चेहरे रहे हैं और उन्होंने पार्टी की कई राज्यों में जीत दिलायी. वे वाजपेयी युग में दो बार भाजपा के अध्यक्ष भी रहे. जेपी आंदोलन की उपज और किसान के बेटे वेंकैया ने आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सांगठनिक कौशल का पाठ पढ़ा, जो ताउम्र उनके काम आया और अपना जनाधार नहीं होने के बाद भी महज संगठन कौशल के बल पर वे तेजी से संगठन की सीढ़ियां चढ़ते गये और भाजपा के शिखर नेताओं में शामिल हो गये. दरअसल, उनका भावुक होना पार्टी रूप से मां से बिछड़ने के कारण ही है.

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