केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बुधवार को राज्यसभा में आरक्षण संबंधी संविधान संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान कुछ ऐसा कह दिया जिसे लेकर उन्हें तत्काल माफी मांगनी पड़ी. लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष और सांसद पासवान सामान्य श्रेणी के गरीबों को आरक्षण की वकालत करते हुए बोल रहे थे कि उच्च जाति के लोगों ने हम जैसे तमाम नेताओं को आगे बढ़ाया है. इसी कड़ी में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती का भी नाम लिया, जिसे लेकर ऐतराज जताया गया दरअसल, रामविलास पासवान जब मोदी सरकार का बचाव कर रहे थे तो उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती का नाम लेते हुए बहनजी या सुश्री शब्द का इस्तेमाल नहीं किया और सीधे मायावती कहकर संबोधित किया. पासवान के इस अंदाज पर तुरंत बहुजन समाज पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि जो सदन में मौजूद नहीं हैं, अगर नाम लिया जाए तो अदब के लिए साथ लिया जाए.
'बहन मायावती जी' कहिए
बसपा सांसद ने सतीश मिश्रा ने रामविलास पासवान को सोच समझकर बात करने की नसीहत देते हुए यह भी बता दिया कि उन्हें कैसे बसपा सुप्रीमो को संबोधित करना है. मिश्रा ने बताया कि आप बहन मायावती जी कहकर उन्हें संबोधित करें. सतीश मिश्रा के यह तेवर देखकर रामविलास पासवान ने तुरंत सदन के सामने माफी मांगी और बसपा सुप्रीमो को बहन, मेरी प्यारी बहन मायावती जी कहकर संबोधित किया इस बीच दूसरी तरफ से सतीन चंद्र मिश्रा ने ये भी कह दिया ये मानिए कि आज आप लोग जहां बैठे हैं, वो बहन मायावती जी की वजह से हैं. हालांकि, इस बात पर रामविलास पासवान थोड़ा मुखर हो गए और उन्होंने पलटवार करते हुए बताया कि वह पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से 1969 में विधायक बने थे. पासवान ने यह तारीख याद दिलाते हुए कहा कि अगर कोई कहता है कि मुझे कौन राजनीति में लाया है, तो मैं उस पर नहीं जाना चाहता.
'बहन मायावती जी' कहिए
बसपा सांसद ने सतीश मिश्रा ने रामविलास पासवान को सोच समझकर बात करने की नसीहत देते हुए यह भी बता दिया कि उन्हें कैसे बसपा सुप्रीमो को संबोधित करना है. मिश्रा ने बताया कि आप बहन मायावती जी कहकर उन्हें संबोधित करें. सतीश मिश्रा के यह तेवर देखकर रामविलास पासवान ने तुरंत सदन के सामने माफी मांगी और बसपा सुप्रीमो को बहन, मेरी प्यारी बहन मायावती जी कहकर संबोधित किया इस बीच दूसरी तरफ से सतीन चंद्र मिश्रा ने ये भी कह दिया ये मानिए कि आज आप लोग जहां बैठे हैं, वो बहन मायावती जी की वजह से हैं. हालांकि, इस बात पर रामविलास पासवान थोड़ा मुखर हो गए और उन्होंने पलटवार करते हुए बताया कि वह पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से 1969 में विधायक बने थे. पासवान ने यह तारीख याद दिलाते हुए कहा कि अगर कोई कहता है कि मुझे कौन राजनीति में लाया है, तो मैं उस पर नहीं जाना चाहता.
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