भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने
सुप्रीम कोर्ट में यह साफ कर दिया है कि सरकार की घोषणा के मुताबिक वह सावधि कर्ज
की मासिक किस्तों में सिर्फ मूलधन की राशि की अदायगी में राहत देने की हालत में
है। RBI के मुताबिक ग्राहकों को ब्याज अदायगी में कोई छूट नहीं दी जा सकती।
वित्त मंत्रालय और RBI ने इस बारे में
पहले ही स्पष्टीकरण दे दिया था कि सिर्फ मूलधन की अदायगी की अवधि बढ़ाई जा रही है।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किये जाने पर आरबीआई को फिर स्थिति स्पष्ट
करनी पड़ी है।
याचिकाकर्ता गजेंद्र शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट
में मामला दायर किया था कि ब्याज दरों में राहत दिए बगैर इस स्कीम का कोई फायदा
नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को लेकर RBI से पूछा था कि
उसकी राहत स्कीम में ब्याज दरों को माफ करने को शामिल क्यों नहीं किया गया है। इस
पर आरबीआई की ओर से जवाब दिया गया है कि ब्याज दरों में राहत देने का मतलब बैंकों
के फाइनेंशियल हेल्थ और वित्तीय स्थायित्व के साथ समझौता करना होगा। आरबीआई ने ये
भी कहा कि अगर छह महीने के लिए ब्याज दरों को माफ किया जाए तो बैंकों पर दो लाख
करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसके साथ ही यह बैंक में रकम जमा कराने वाले
ग्राहकों के हितों को भी नुकसान पहुंचाएगा।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.