पंजाब, हरियाणा में धान कटाई के बाद किसान खेत
में बचे अवशेष (पराली) में आग लगा देते हैं। उससे उठा धुआं दिल्ली के लोगों के लिए
नासूर बन जाता है। भोपाल के एक किसान ने जैविक पद्धति से पराली (नरवाई) की खाद
बनाई है। उसकी मदद से देशी प्रजाति के टमाटर और बैंगन की भरपूर पैदावार ले रहे
हैं। पर्यावरण के पोषण के इस प्रयास की कृषि विशेषज्ञों ने सराहना की है।
खरीफ सीजन के विदा होते ही दिल्ली के लोग
दमघोंटू वातावरण में रहने के लिए अभिशप्त हो जाते हैं। पाबंदियों के तमाम दावे के
बावजूद पंजाब, हरियाणा के खेतों में पराली में आग लगा दी जाती
है। धुएं के कारण दिल्ली अघोषित गैस चैंबर बन जाती है।
गंभीर प्रदूषण का कारण बन चुकी पराली का भोपाल
के किसान मिश्रीलाल राजपूत ने सकारात्मक समाधान खोज निकाला है। खजूरीकलां निवासी
मिश्रीलाल ने छह एकड़ जमीन में धान की खेती की। फसल काटने के बाद बिना जुताई किए
तीन एकड़ जमीन में पराली बिछा दी।
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