रायपुर ! इंसान और जानवर के मिश्रित रूप वाले भगवान विष्णु के अवतार भगवान
नृसिंह की छत्तीसगढ़ में सबसे पुरानी प्रतिमा राजधानी के ब्रह्मपुरी इलाके में
स्थित मंदिर में प्रतिष्ठापित है। पुरातत्व विभाग के अनुसार भगवान नृसिंह की
प्रतिमा लगभग 1150 साल पुरानी है। मंदिर में सन 870 के
आसपास भोसले राजा हरिहर वंशी ने प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी।
ग्रीष्म ऋतु में छूने से ठंडी और शीत ऋतु में
रहती है गरम नृसिंह भगवान की प्रतिमा काले पत्थर से बनी हुई है। इस प्रतिमा की
खासियत यह है कि ग्रीष्म ऋतु में प्रतिमा को छुआ जाए तो ठंडी और शीत ऋतु में छूने
पर गरम होने का अहसास होता है।
एकमात्र प्रसिद्ध मंदिर यह छत्तीसगढ़ के सबसे
पुराने और एकमात्र नृसिंह मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। हालांकि इसके बाद अन्य
देवी-देवताओं के मंदिरों में भी नृसिंह प्रतिमा स्थापित की गई है, लेकिन
स्वतंत्र रूप से नृसिंह भगवान इसी मंदिर में विराजे हैं। भक्तों की मान्यता है कि
नृसिंह जयंती के दिन (वैसाख शुक्ल चतुर्दशी) जो भी भक्त इस मंदिर में आकर मन्नात
मांगता है उसकी मनोकामना अगली नृसिंह जयंती तक अवश्य पूरी होती है।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.