रायपुर। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए किए गए
लॉकडाउन ने उद्योगों की कमर तोड़ दी है। चाहे उद्योग शुरू होने के बाद उत्पादन की
बात हो या उत्पादन के बाद बिक्री की, उद्योगों का बजट गड़बड़ा गया। इसकी वजह
से बहुत से उद्योग शुरू ही नहीं हो पा रहे हैं।
जो उद्योग शुरू हो चुके हैं, उनमें
उत्पादन मुश्किल से 40 से 50 फीसद तक ही हो रहा है, जबकि
राज्य को सर्वाधिक राजस्व देने के मामले में यहां के उद्योग अग्रणी स्थान रखते
हैं। नईदुनिया ने उद्योगों की इन समस्याओं को लेकर वेबिनार आयोजित किया। इसमें
विभिन्न सेक्टरों से जुड़े उद्योगपतियों ने अपनी समस्याएं रखीं और सरकार से
उम्मीदें भी जाहिर की। इस वेबिनार में यह बातें निकल कर आईं कि लॉकडाउन से जूझ रहे
उद्योगों को इन दिनों 'ऑक्सीजन' की आवश्यकता है
और उन्हें केवल 'टैबलेट'ही दी जा रही है।
उद्योगपतियों का कहना है कि अगर ऐसा ही हाल रहा
तो आने वाले दिनों में उद्योगों का पटरी पर दौड़ पाना मुश्किल होगा। उद्योगों की
गाड़ी को पटरी पर दौड़ाने के लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने ही होंगे, हम
तो अपने स्तर पर कोशिश कर ही रहे हैं। राज्य सरकार अगर सचमुच में उद्योगों को पटरी
में लाना चाहती है तो पड़ोसी राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ के उद्योगों को भी सस्ती
बिजली दी जाए।
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