रायपुर। पतंजलि योग समिति, भारत
स्वाभिमान तथा वैदिक सत्संग समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयुर्वेदिक औषधि
पादपों के अर्क, छाल, फल, फूल व समिधा
(काष्ठ)के समिश्रण से रोगनाशक होली हवन वीआईपी रोड स्थित राममंदिर में किया गया।
मौसम परिवर्तन के साथ कई प्रकार के मौसमजनित बीमारियों का संक्रमित होना तो पहले
भी देखा गया है। जो कि इस प्रकार के हवन समिधा के धूम (धुंआ) से नष्ट हो जाते हैं।
काफी संख्या में लोग इसमें शामिल हुए।
कार्यक्रम के संयोजक राकेश दुबे ने बताया कि
होली पवित्र वैदिक पर्व है। प्राचीन काल में भी होली हवन,भैषज्य यज्ञ के
रूप में प्रचलित था। वैदिक कर्मकांड के मर्मज्ञ पं कमल नारायण ने बताया कि औषधीय
पादपों से चिकित्सकीय प्रायोजनों के लिये किये जाने वाला यज्ञ भैषज्ययज्ञ कहलाता
है। वैसे तो वायुमण्डल में व्याप्त विषाणुओं का यज्ञ के धूम द्वारा नष्ट होना
विविध वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा सिद्ध हो चुका है। यह भी माना गया है कि गोघृत
में शक्कर को जलाने से टीबी के कीटाणु नष्ट होते है। हमारे देश में हुये अनेक
प्रयोगों में यह सिद्ध हुआ है कि यज्ञ धूम वातावरण को पोषित करने का सहज उपाय है।
यज्ञ अस्थमा, टी.बी., रक्तचाप,
त्वचारोग,
एलर्जी,
श्वसनतंत्र
के रोगों तथा माइग्रेनआदि रोगों में पर्याप्त उपयोगी सिद्ध हुआ है।यज्ञ से रोग
प्रतिरोधक क्षमता बढ?े के भी प्रमाण सिद्ध हुए हैं। गुग्गल को गोघृत
में जलाकर उसका सेवन करने से श्वसन तंत्र के रोगों में पर्याप्त आराम मिलता है।
आयुर्वेद में स्वर्ण भस्म,रजत भस्म जैसे अनेक भस्मों का प्रयोग
शरीर को निरोग तथा शक्तिशाली बनाने के लिये किया जा रहा है। इस अवसर पर डॉ अजय
आर्य, राकेश दुबे, राजेंद्र अग्रवाल (अग्निहोत्री) एवं
नवीन यदु व अन्य प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
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