वैविध्य और समरसता भारत की सांस्कृतिक विशेषता
है। वैदिक काल से ही देश समभाव को लेकर चला है। स्वर्गीय चंदूलाल चंद्राकर सहित
सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने इसे अक्षुण्ण रखने कठिन संघर्ष किया। इस
विरासत को सहेजे रखने की जरूरत है। यह संक्रमण काल है। हमें खुशी है कि छत्तीसगढ़
में सुंदर सामाजिक सद्भाव के माध्यम से हम अपने पुरखों की इस विरासत को आगे ले
जाने में पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं।
स्वर्गीय चंदूलाल चंद्राकर की 25 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर भिलाई 3 में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने
पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वर्गीय चंद्राकर का पुण्य स्मरण करते हुए यह
बात कहीं। उन्होंने कहा कि देश में आर्थिक मंदी है। रोजगार का गहन से संकट है। ऐसे
में इन मुद्दों पर देश भर में चिंतन होना चाहिए लेकिन ऐसी बहस की जगह अनुत्पादक
बहसों ने ली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बात की हमें गहरी खुशी है कि स्वर्गीय
श्री चंदूलाल चंद्राकर जी के दिखाए मार्ग पर हम चल पा रहे हैं। कृषकों की कर्जमाफी
और 2500 रुपये में धान
खरीदी के माध्यम से कृषकों की स्थिति में सुधार तो हुआ ही, बाजार में भी मांग पैदा हुई जो
छत्तीसगढ़ के बाजार के लिए संजीवनी साबित हुई। बीते साल भर में जो काम हुए, छत्तीसगढ़ी अस्मिता को सहेजने की दिशा
में जो काम हुए, वो
अपने पुरखों को दी गई सच्ची श्रद्धांजलि है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर स्वर्गीय
श्री चंदूलाल चंद्राकर के सार्वजनिक जीवन की उपलब्धियों का भी स्मरण किया।
उन्होंने दुनिया भर में भ्रमण किया और दुनिया
भर में हो रहे नवाचारों से हमें परिचित कराया। उनके डिस्पैच बहुत शानदार रहे और
उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से भी उन्होंने अपनी मातृभूमि की सेवा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुरानी पीढ़ी तो उनके योगदान से परिचित है ही, नई पीढ़ी को भी उनके विचारों से अवगत
कराने ऐसे कार्यक्रम बहुत उपयोगी होते हैं।
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