जेनेवा
! विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गुरुवार को करॉना
वायरस को इंटरनैशल इमर्जेंसी घोषित कर दिया। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि इस बीमारी
से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय बैठाया जा सके। WHO चीफ टेड्रोस ऐडनम ने बताया है कि सबसे
बड़ी चिंता ऐसे देशों में वायरस को फैलने से रोकने की है जहां स्वास्थ्य
व्यवस्थाएं कमजोर हैं। साथ ही उन्होंने साफ किया कि ऐसा करने से चीन पर अविश्वास
जैसा कुछ नहीं है बल्कि कोशिश यह है कि दूसरे ऐसे देश जो इससे उबर नहीं सकते, उनकी मदद की जा सके।
यात्रा-व्यापार
रोकने की जरूरत नहीं
टेड्रोस
ने बताया, 'हम सबको एक साथ मिलकर इसे और ज्यादा
फैलने से रोकना चाहिए। हम इसे सिर्फ एक साथ रोक सकते हैं।' ट्रेड्रोस पिछले हफ्ते ही चीन गए थे और
राष्ट्रपीत शी जिनपिंग से मिले थे। ट्रेडोस ने बताया कि हाल के दिनों में सफर करने
या व्यापार करने पर रोक लगाई गई हैं उनकी कोई जरूरत नहीं है। बता दें कि कई देशों
ने अपने नागरिकों से वुहान नहीं जाने के लिए कहा है। कई देशों ने वुहान से आने
वाले लोगों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। रूस ने चीन के साथ अपने पूर्वी बॉर्डर को
भी बंद कर दिया है।
इंटरनैशनल
इमर्जेंसी घोषित करने से क्या होगा
किसी
बीमारी या महामारी की स्थिति में पब्लिक हेल्थ इमर्जेंसी घोषित किए जाने का कानून 2007 में आया था और उसके बाद से WHO 5 बार इसका ऐलान कर चुका है। स्वाइन फ्लू, पोलियो, जीका और दो बार अफ्रीका में इबोला वायरस के चलते WHO को यह ऐलान करना पड़ा था। इस ऐलान के
तीन महीने बाद स्थिति का आकलन किया जाएगा। इसकी मदद से WHO अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए
दिशा-निर्देश जारी कर सकेगा जिसका पालन करके इस गंभीर समस्या से निपटा जा सकेगा।
खास
हालात में हो सकता है फायदा
WHO
की
इमर्जेंसी कमिटी ने बताया है कि लोगों या सामान के मूवमेंट को रोके जाने से असर
नहीं होता है और दूसरी जगहों से मिलने वाली मदद और टेक्निकल सपॉर्ट पर असर पड़ता
है। इससे प्रभावित देशों की इकॉनमी पर भी असर पड़ता है। हालांकि, कमिटी ने कहा कि खास हालात में लोगों
को रोके जाने से कुछ वक्त के लिए फायदा भी हो सकता है।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.