अयोध्या! अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जल्द आ सकता है। इसके मद्देनजर
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने मुस्लिम
नेताओं के साथ दूसरे पक्ष को साधने में जुटे हैं। कोशिश की जा रही है कि इन सभी
नेताओं को इस बात पर सहमत किया जाए कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होगा ताकि
समाज में शांति और कानून व्यवस्था प्रभावित न हो। इन बातों को ध्यान में रखते हुए
मंगलवार को केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के आवास पर एक बैठक की गई।
शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद ने
अयोध्या के संदर्भ में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के घर में हुई बैठक के
बाद कहा, 'सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देता है, हम सभी को उसका
सम्मान करना चाहिए। हम फैसले के साथ ही सभी से शांति बनाए रखने की अपील करेंगे।'
ऑल
इंडिया सूफी सज्जादनशीं काउंसिल के चेयरमैन सैयर नसेरुद्दीन चिश्ती ने कहा,
'बैठक
में इस बात पर एक मत था कि सभी धर्मों के लोगों को सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानना
चाहिए। हम सभी दरगाहों को लोगों से अपील करते हुए इस बात के निर्देश देंगे कि अफवाहों
और झूठी ख़बरों पर यकीन न किया जाए।'
बैठक में ये लोग थे शामिल
इस बैठक में बीजेपी की तरफ से शहनवाज हुसैन,
आरएसएस
की ओर से संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, रामलाल, जमीयत
उलेमा-ए-हिंद के मुखिया मौलाना सैयद अरशद मदनी और शिया मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद,
फिल्म
निर्माता मुजफ्फर अली समेत कई अन्य बुद्धिजीवी भी मौजूद रहे।
'राम मंदिर आस्था का विषय है'
अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन सैयद गयरूल हसन
रिजवी ने बताया, 'एक समुदाय के रूप में मुस्लिमों ने ऐसे कई
टर्निंग पॉइंट्स मिस कर दिए जब इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाया जा सकता था। यह एक
हिंदू बहुल देश है और राम मंदिर आस्था का विषय है। मुस्लिमों को इस मुद्दे को
मस्जिद और मंदिर से ऊपर उठकर देखने की जरूरत है।' बीजेपी के
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष अब्दुल राशिद अंसारी कहते हैं कि इन बैठकों
का मुख्य उद्देश्य समुदाय विशेष को यह बताना है कि सोशल मीडिया संदेशों के जरिए
किसी को भी उत्तेजित नहीं होने देना है।
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