भोपाल के मिन्टो हॉल में एक और दो नवम्बर को
राइट टू हेल्थ कॉन्क्लेव आयोजित किया जा रहा है। कॉन्क्लेव में स्वास्थ्य एवं समाज
सेवा से जुडे देश भर के प्रबुद्ध व्यक्ति शामिल होंगे। मध्यप्रदेश सरकार स्वास्थ्य
का अधिकार का कानून बनाकर नागरिकों के अधिकारों की एक व्यवस्था सुनिश्चित करने के
लिये कटिबद्ध है। इसी मकसद से यह कॉन्क्लेव आयोजित किया जा रहा है।
प्रदेश में राइट टू हेल्थ के अधिकार के
क्रियान्वयन के लिये राज्य सरकार ने ठोस प्रयास किये हैं। इसी उद्देश्य से 3
अगस्त को स्टेयरिंग कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी जल-संसाधन विभाग के अपर
मुख्य सचिव एम. गोपाल रेड्डी की अध्यक्षता में गठित की गयी है। कमेटी की पहली बैठक
14 अगस्त को हो चुकी है। कमेटी ने राइट टू हेल्थ के लिये स्वास्थ्य
सेवाओं से जुडे़ स्टेक होल्डर्स से चर्चा कर उनके सुझाव लेने की राय दी है। इसी
सिलसिले में भोपाल में 30 अगस्त को राज्य स्तरीय परिचर्चा
आयोजित की गयी, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों से जुडे़ 50
से अधिक प्रबुद्धजनों की भागीदारी रही। परिचर्चा में सिविल सोसायटी के मेम्बर,
पत्रकार, जन-प्रतिनिधि और प्रशासकीय अधिकारियों ने भी
सुझाव दिये।
राइट टू हेल्थ के संबंध में 4 अक्टूबर
को राज्य सरकार द्वारा अन्तर्विभागीय परिचर्चा आयोजित की गयी। परिचर्चा में सरकार
के विभिन्न विभागों द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर करने के लिये सुझाव लिये
गये। अक्टूबर माह में ही 15 से 19 अक्टूबर
के दौरान प्रदेश के विभिन्न संभागों में कार्यशाला का आयोजन कर लोक स्वास्थ्य सेवा
से जुडे़ प्रोफेशनल्स, सिविल सोसायटी के सदस्य और विभिन्न विषयों के
विशेषज्ञों के सुझाव लिये गये। राइट टू हेल्थ के संबंध में राज्य सरकार द्वार गठित
स्टेयरिंग कमेटी की दूसरी बैठक 21 अक्टूबर को आयोजित की गई। कमेटी ने
राष्ट्रीय स्तर का कॉन्क्लेव आयोजित करने का निर्णय लिया। इन्हीं बातों को ध्यान
में रखते हुए एक और दो नवम्बर को राइट टू हेल्थ कॉन्क्लेव आयोजित किया जा रहा है।
कॉन्क्लेव में स्वास्थ्य सेवाओं से जुडे़ प्रबुद्ध व्यक्तियों के अलावा शिक्षाविद्,
विकास आंदोलन से जुडे़ व्यक्तियों, सिविल
सोसायटी के मेम्बर्स, मीडिया और कानूनविद् शामिल होंगे।
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