Wednesday 30 October 2019

कोल खदान के खिलाफ आंदोलन कर रहे आदिवासी धरना स्थल पर ही मनाई दिवाली



एक और जहां पूरे देश के लोग अपने अपने घरों में दीपावली (Deepawali) का त्योहार (Festival) मना रहे थे. वहीं 20 गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रकृति (Nature) की रक्षा के लिए जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए विगत 15 दिनों से जारी धरना प्रदर्शन स्थल पर ही दीपक जलाकर दिवाली (Diwali) का त्योहार मनाया. कोल खदान (Coal Mine) के आवंटन के खिलाफ धरना प्रदर्शन की शुरुआत सूरजपुर (Surajpur) जिले के ग्राम तारा में की गई. एसडीएम (SDM) की अनुमति नहीं होने का हवाला देते हुए सरपंच द्वारा धरना स्थल बदलने के नोटिस दिए जाने के बाद आंदोलनकारी आदिवासी (Tribal) परिवार के लोगों का धरना प्रदर्शन सरगुजा जिले के परसा कोल ब्लॉक (Coal Block) के प्रभावित ग्राम फतेहपुर में लगातार जारी है.
सरगुजा (Sarguja) संभाग में ग्रामीण अपनी जमीनों को कोल खदान (Coal Mine) के लिए नहीं देने का संकल्प लिए हुए हैं और उस पर अडिग होने का हवाला दे रहे हैं. ग्रामीणों द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है. प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में आदिवासी व अन्य ग्रामीण उपस्थित होकर कोल खदान के विरोध में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, लेकिन आज तक न तो किसी जनप्रतिनिधि, न किसी जिम्मेदार अधिकारी और ना ही शासन के किसी नुमाइंदे ने इन आंदोलनकारियों की सुध ली है.
15 दिनों के शांतिपूर्ण धरना के दौरान आए दीवापली के त्योहार में प्रभावित गांव के लोगों नें मिलकर प्रकृति की रक्षा का संकल्प लिए और एक साथ 100 दीये जलाए. इनमें पहला दीपक ग्राम देवी डिहारीन दाईं के नाम से संगठन की एकता के प्रतीक स्वरूप. दूसरा दीपक गांव के शिवरिहा देवता के नाम से जो की गांव के रक्षा के प्रतीक हैं, तीसरा दीपक ठाकुर देवता के नाम से जो सत्य, अहिंसा व न्याय के प्रति सजग व अन्याय के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक स्वरूप और चौथा दीपक आदि शक्ति, प्रकृति शक्ति, बड़ा देव के नाम जल ,जंगल, जमीन, पर्यावरण के प्रतीकात्मक दिया जलाया गया.

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