मप्र
की 29
लोकसभा सीटों में जीत का सेहरा भाजपा या कांग्रेस में से किसके सिर बंधेगा,
इसका दारोमदार
युवाओं के ऊपर है। युवाओं का झुकाव जिस दल या उम्मीदवार की ओर होगा, जीत उसकी ही होगी, क्योंकि प्रदेश में युवा मतदाताओं की
संख्या कुल मतदाताओं में आधे से भी ज्यादा है। मध्यप्रदेश में आधे से ज्यादा मतदाता 20 से 39 आयु वर्ग के हैं।
पांच
करोड़ 14
लाख 67
हजार 980
मतदाता
प्रदेश
में कुल पांच करोड़ 14
लाख 67
हजार 980
मतदाता हैं। इनमें 65
हजार 960
सर्विस वोटर भी शामिल हैं। आयु समूह के हिसाब से देखा जाए तो सबसे ज्यादा मतदाता 20 से 29 साल के हैं। इनकी संख्या एक करोड़ 37 लाख 79 हजार 535 है। इसके बाद 30 से 39 साल के मतदाता आते हैं, जिन्हें युवा की श्रेणी में रखा जाता
है।
इनकी
संख्या एक करोड़ 31
लाख 83
हजार 982
है। इस प्रकार देखा जाए तो इन दोनों आयु वर्ग के ढाई करोड़ से ज्यादा मतदाताओं के
ऊपर उम्मीदवारों का भविष्य तय करने का दारोमदार है। इसके बाद 40 से 49 साल के एक करोड़ दो लाख 59 हजार 862 मतदाता हैं जो चुनावी नतीजों को
प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं।वहीं, 66 लाख 91 हजार 250 मतदाता 50 से 59 साल, 37 लाख 21 हजार 720 मतदाता 60 से 69 वषज़् समूह, 17 लाख 83 हजार 247 मतदाता 70 से 79 और छह लाख 21 हजार 870 मतदाता 80 साल से ज्यादा उम्र के हैं। 20 से 39 साल के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक
दो करोड़ 69
लाख से ज्यादा है। 18 से
19
साल के मतदाता भी 13
लाख 60
हजार से अधिक हैं। यह संख्या अभी और बढ़ेगी, क्योंकि नामांकन दाखिले की अंतिम तारीख
से दस दिन पहले तक नाम जुडऩे का सिलसिला चलता रहेगा।
चुनाव
आयोग का फोकस
चुनाव
आयोग का फोकस इस बात पर है,कि सभी आयु वर्ग के मतदाता मतदान करें। इसे लेकर
आयोग भी ‘ मतदाता
से संपर्क’ नाम
से अभियान चलाया जा रहा है। रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करके जाने
वाले ग्रामीणों को मतदान के लिए वापस आने प्रेरित करने की रणनीति भी बनाई गई है।
विधानसभा चुनाव में गुजरात काम करने गए मजदूरों को मतदान के लिए भेजने फैक्टरी
संचालकों से बात करने निर्वाचन की टीम भेजी थी।
इसके
अच्छे नतीजे भी सामने आए। प्रदेश में बीते तीन दशक में ही मतदान प्रतिशत 62 से अधिक नहीं रहा,लेकिन आयोग ने प्रदेश में इस बार 75 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य कलेक्टरों को
दिया है। इसके लिए रणनीति बनाकर व्यापक तौर पर मतदाता जागरुकता कार्यक्रम चलाया
जाएगा। पात्र मतदाताओं के नाम जोडऩे का काम भी चलता रहेगा।
दोनों
ही प्रमुख दलों की नजर भी युवाओं पर
युवा
मतदाता के बढ़े हुए प्रतिशत व इस वर्ग को निर्णायक मानते हुए राज्य के दोनों ही
प्रमख दल युवाओं पर फोकस किए हुए हैं। कांग्रेस सरकार ने इन्हें लुभाने जहां युवा
स्वाभिमान योजना और उद्योगों में स्थानीय युवाओं को 70 प्रतिशत रोजगार देने की अनिवार्यता
जैसे प्रावधान किए। पाटीज़् ने इसका प्रचार-प्रचार जोर-शोर से करने की रणनीति
अपनाई है। पंजीयन का काम भी आचार संहिता के पहले लागू हो चुका है। वहीं, भाजपा अपने प्रचार में मोदी और शिवराज
सरकार द्वारा लागू की गई योजनाओं को आधार बना रही है।
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