Tuesday 19 March 2019

हाईकोर्ट का कमलनाथ सरकार को झटका, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर लगाई रोक



मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य के पिछड़ा वर्ग का आरक्षण प्रतिशत 14 से बढ़ाकर 27 किए जाने पर कमलनाथ सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है। इससे चुनाव के दौरान कांग्रेस सरकार को एक बड़ा झटका लगा है। न्यायालय के फैसले के बाद आगामी 25 मार्च को होने वाली एमबीबीएस की काउंसलिंग अब पूर्व निर्धारित आरक्षण के आधार पर ही होगी।
राज्य सरकार के उक्त फैसले के खिलाफ जबलपुर निवासी अर्पिता दुबे, भोपाल निवासी ऋ चा पांडेय और सुमन सिंह की ओर से याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया ,कि वे नीट परीक्षा-2019 शामिल हुई थी और अगले सप्ताह से उनकी काउंसिलिंग शुरू होने वाली है,लेकिन राज्य सरकार द्वारा आरक्षण में किए बदलाव से उनका हित प्रभावित हो सकता है।
याचिकाकर्ताओं ने पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण में की गई बढ़ोत्तरी को असंवैधानिक बताया।  इस याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के न्यायाधीश आरएस झा तथा संजय द्विवेदी की युगलपीठ ने आदेश लागू करने पर रोक लगाने के साथ ही मुख्य सचिव और चिकित्सा शिक्षा निदेशालय (डीएमई) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। 
सरकार ने 8 मार्च को जारी किया था अध्यादेश
प्रदेश सरकार ने 8 मार्च को अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण संबंधित एक अध्यादेश जारी किया है। जिसके अनुसार पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित 14 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि वर्तमान में एससी वर्ग के लिए 16 प्रतिशत तथा एसटी वर्ग के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण है। वहीं ओबीसी वर्ग के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण था, जिसे प्रदेश सरकार ने बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया है।
इस प्रकार कुल आरक्षण को प्रतिशत 63 प्रतिशत पहुंच जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने युगलपीठ को बताया कि किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। याचिका में मुख्य सचिव तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग (डीएमई) के संचालक को अनावेदक बनाया गया था। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाए जाने के आदेश पर रोक लगाते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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