शनिवार,16 फरवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे भीष्म एकादशी और जया एकादशी भी कहा जाता है। इस बार पंचांग भेद होने की वजह से कुछ क्षेत्रों में ये एकादशी 15 फरवरी को भी मनाई जाएगी। महाभारत काल में युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से एकादशियों का महत्व पूछा था। श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि अगर को भक्त एकादशी पर विधि-विधान से भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करता है तो उसकी सभी परेशानियां खत्म हो सकती हैं। जानिए शनिवार और एकादशी के योग में पूजा-पाठ के साथ ही कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं...
मंत्र का जाप करें
भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा में दक्षिणावर्ती शंख भी रखें। इसी शंख से भगवान का अभिषेक करें।
एकादशी पर किसी मंदिर में अनाज का दान करें। किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं।
शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाएं और जल अर्पित करते हुए ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।
महालक्ष्मी के मंदिर में सुगंधित इत्र दान करें। धूप-दीप जलाकर ऊँ महालक्ष्म्यै नम: मंत्र का जाप 108 बार करें।
हनुमानजी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
मंत्र का जाप करें
भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा में दक्षिणावर्ती शंख भी रखें। इसी शंख से भगवान का अभिषेक करें।
एकादशी पर किसी मंदिर में अनाज का दान करें। किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं।
शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाएं और जल अर्पित करते हुए ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।
महालक्ष्मी के मंदिर में सुगंधित इत्र दान करें। धूप-दीप जलाकर ऊँ महालक्ष्म्यै नम: मंत्र का जाप 108 बार करें।
हनुमानजी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
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