शास्त्रों में प्रदोष व्रत भगवान शिव की महा कृपा पाने का दिन है, जो प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ता है उसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं. इस बार ये व्रत 2 फरवरी के दिन यानि आज है. शनि प्रदोष व्रत करके कोई भी भक्त अपने मन की इच्छा को बहुत जल्दी पूरा कर सकता है. हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को यह व्रत किया जाता है. शनि प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम के समय सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद की जाती है. शनि प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ-साथ शनि देव की महा कृपा भी प्राप्त होती है. शनि की साढ़ेसाती ढैय्या का दुष्प्रभाव भी दूर होता है.
शनि प्रदोष व्रत में क्या सावधानियां और नियम रखें
मंदिर और सारे घर में साफ सफाई का ध्यान रखें.
साफ-सुथरे कपड़े पहनकर ही भगवान शिव और शनि की पूजा अर्चना करें.
शनि प्रदोष व्रत में मन में किसी तरीके के गलत विचार ना आने दें.
घर के सभी लोग आपस में सम्मान पूर्वक बात करें.
शनि प्रदोष व्रत में बड़ों का निरादर ना करें और ना ही माता पिता का निरादर करें.
शनि प्रदोष व्रत में हरे भरे पेड़-पौधों को ना तोड़ें.
सारे व्रत विधान में अपने आप को भगवान शिव और शनि को समर्पण कर दें
शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और शनि की पूजा कैसे करें
शनि प्रदोष के दिन सूर्य उदय होने से पहले उठें.
स्नान करके साफ हल्के रंग के कपड़े पहनें.
सरसों के तेल का चौमुखा दिया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं और एक दीया शनिदेव के मंदिर में जलाएं.
सारा दिन भगवान शिव के मंत्र ॐ नमः शिवाय का मन ही मन जाप करें और निराहार रहें.
शाम के समय प्रदोष काल में भगवान शिव को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं. इसके बाद शुद्ध जल से भी स्नान कराएं.
रोली, मोली, चावल, धूप, दीप से पूजन करें.
शनि प्रदोष व्रत में क्या सावधानियां और नियम रखें
मंदिर और सारे घर में साफ सफाई का ध्यान रखें.
साफ-सुथरे कपड़े पहनकर ही भगवान शिव और शनि की पूजा अर्चना करें.
शनि प्रदोष व्रत में मन में किसी तरीके के गलत विचार ना आने दें.
घर के सभी लोग आपस में सम्मान पूर्वक बात करें.
शनि प्रदोष व्रत में बड़ों का निरादर ना करें और ना ही माता पिता का निरादर करें.
शनि प्रदोष व्रत में हरे भरे पेड़-पौधों को ना तोड़ें.
सारे व्रत विधान में अपने आप को भगवान शिव और शनि को समर्पण कर दें
शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और शनि की पूजा कैसे करें
शनि प्रदोष के दिन सूर्य उदय होने से पहले उठें.
स्नान करके साफ हल्के रंग के कपड़े पहनें.
सरसों के तेल का चौमुखा दिया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं और एक दीया शनिदेव के मंदिर में जलाएं.
सारा दिन भगवान शिव के मंत्र ॐ नमः शिवाय का मन ही मन जाप करें और निराहार रहें.
शाम के समय प्रदोष काल में भगवान शिव को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं. इसके बाद शुद्ध जल से भी स्नान कराएं.
रोली, मोली, चावल, धूप, दीप से पूजन करें.
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