राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है. इसके साथ ही मोदी सरकार की ओर से लाए जाने वाले तीन तलाक और नागरिकता संशोधन बिल जैसे कई अहम विधेयकों को अब संसद की मंजूरी के लिए 17वीं लोकसभा के गठन का इंतजार करना होगा. लोकसभा से यह दोनों ही बिल पारित हो चुके हैं लेकिन इन्हें उच्च सदन में पेश नहीं किया जा सका, ऐसे में अब तीन तलाक और नागरिकता संशोधन बिल रद्द माने जाएंगे और इन्हें फिर से दोनों सदनों की मंजूरी दिलानी होगी.
मुश्किल से पास धन्यवाद प्रस्ताव
राज्यसभा का यह सत्र 31 जनवरी को शुरू हुआ था जिसमें कुल 10 बैठकें हुई हैं. लगभग पूरा सत्र राफेल डील और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा समेत कई मुद्दों को लेकर हंगामे की भेंट चढ़ गया. उच्च सदन में बजट सत्र के दौरान महज 3 घंटे तक ही काम हो पाया. यहां 6 फरवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव को पेश किया गया था जो आखिरी दिन भी बगैर चर्चा के ही पारित कराना पड़ा सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने से पहले राज्यसभा सभापति एम वेंकैया नायडू ने इसे गंवा दिया गया मौका करार दिया और उम्मीद जताई कि अगले सत्र में विभिन्न दलों के सदस्य सकारात्मक रूप से चर्चा में हिस्सा लेंगे. नायडू ने कहा कि वर्तमान सत्र में होने वाली कुल 10 बैठकों में कामकाज के 48 घंटों में से करीब 44 घंटे हंगामे की भेंट चढ़ गए. इस दौरान कुल पांच विधेयक पारित किए गए या लौटाए गए और सदन के कामकाज का प्रतिशत मात्र 4.9 रहा. सत्र के दौरान 6 विधेयकों को पेश किया गया. इस दौरान हंगामे के कारण विशेष उल्लेख के जरिये कोई भी लोक महत्व का मुद्दा नहीं उठाया जा सकाय
इन मुद्दों पर हुआ हंगामा
बीते 31 जनवरी को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ वर्तमान सत्र शुरू हुआ था. एक फरवरी को लोकसभा में अंतरिम बजट पेश किया गया और उसी दिन इसकी कॉपी उच्च सदन में रखी गई. बजट सत्र के दौरान राफेल विमान सौदे, 13 प्वॉइंट रोस्टर, नागरिकता विधेयक, सपा नेता अखिलेश यादव को प्रयागराज में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने से रोकने, कोलकाता में सीबीआई की कार्रवाई सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही लगातार बाधित रही हंगामे के चलते सदन में एक भी दिन प्रश्नकाल एवं शून्यकाल सुचारू रूप से नहीं चल पाए. सत्र के दौरान अंतरिम बजट और वित्त विधेयक के अलावा संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक 2019 और वैयक्तिक कानून (संशोधन) 2019 ही पारित हो सके
अटक गया तीन तलाक बिल
कांग्रेस पिछले दिन सत्ता में आने पर तीन तलाक बिल को खत्म करने की बात कह चुकी है जबकि मोदी सरकार इस बिल की पुरजोर समर्थक रही है. सरकार इसके लिए एक अध्यादेश भी लेकर आई थी, साथ ही इसे दो-दो बार लोकसभा से पारित कराया जा चुका है लेकिन संख्याबल न होने की वजह से बीजेपी राज्यसभा में इस बिल को नहीं पारित करा सकी. बीजेपी इस मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों से जोड़कर देख रही है और उसका आरोप हैं कि कांग्रेस पार्टी मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के खिलाफ है उधर, नागरकिता संशोधन बिल का भी राज्यसभा में जोरदार विरोध हुआ था. बीते दिनों पूर्वोत्तर के तमाम सांसदों ने इस बिल के खिलाफ मोर्चा खोला, यहां तक कि असम गण परिषद ने तो बिल के विरोध में एनडीए से अपना समर्थन ही वापस ले लिया है. टीएमसी इस बिल को लेकर कड़ा रुख अख्तियार किए हुए हैं और लगातार उच्च सदन में इसे लेकर गतिरोध देखने को मिला था.
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