ऑपरेशन-4: पुलवामा हमले और हमारे जवानों की शहादत का बदला आखिर क्या हो सकता है? उरी हमले के बाद हमने लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर आतंकवादी कैंपों को निशाना बना कर सर्जिकल स्ट्राइक किया था. ज़ाहिर है अब दोबारा ऐसा करना जोखिम भरा होगा. और वैसे भी आतंकवादी कैंपों को निशाना भर बनाने से मसला हल नहीं होने वाला. और कैंप लग जाएंगे और आतंकवादी उन कैंपों तक पहुंच जाएंगे. तो फिर रास्ता क्या है? हल क्या है? बदला क्या है? है रास्ता. और ये रास्ता है ऑपरेशन फोर. यानी पाकिस्तान में बैठे आतंक के उन चार आकओं का खात्मा जो आतंकवादियों की खेप हिंदुस्तान भेजते हैं. पर ये कैसे होगा? हिंदुस्तान के सीने पर ये सबसे ताज़ा ज़ख्म है. सबसे बड़ा भी. जंग या जंग जैसे हालात को छोड़ दें तो हिंदुस्तान की सरज़मीं पर हिंदुस्तानी जवानों की इतनी बड़ी शहादत इससे पहले कभी नहीं हुई. उरी हुआ. 18 जवान शहीद हुए. उरी हुआ तो हमने उसका बदला सर्जिकल स्ट्राइक से लिया. पाकिस्तान की सरहद में घुसकर पाकिस्तान में पनाह ले रहे आतंकियों और उनके कैंपों को नेस्तोनाबूद कर दिया पर अफसोस, फिर भी ना पड़ोसी सुधरा ना उसकी गोद में बैठे आतंक के आका. लिहाज़ा अब सवाल ये उठता है कि पुलवामा का बदला क्या एक और सर्जिकल स्ट्राइक भर है. पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकी कैंपों को तबाह भर कर देने या कुछ दर्जन या सौ आतंकवादियों को मार कर पुलवामा का बदला पूरा हो जाएगा. बिलकुल नहीं. फिर से कैंप बन जाएंगे. उन कैंपों में फिर से आतंकवादी पैदा होंगे. और वो फिर से हिंदुस्तान को ज़ख्म देंगे. तो फिर क्या करें. क्या करना चाहिए हमें. तो बस इसका एक ही जवाब है. आतंकवादियों को नहीं बल्कि उन्हें पैदा करने वाले उनके आकाओं को मारना ज़रूरी है. एक बार आका खत्म आतंक खत्म जी हां. इन चेहरों को कभी मत भूलिएगा. इन्हें हमेशा अपने ज़हन में रखिएगा. यही वो चार चेहरे हैं जिन्होंने अलग अलग रुप में आतंक के हज़ारों चेहरे हिंदुस्तान भेजे हैं. बस एक बार सिर्फ एक बार एक सर्जिकल स्ट्राइक ऐसा हो जो इन्हें नेस्तोनाबूद कर दे. पर सवाल ये है कि इनतक पहुंचा कैसे जाए. इन्हें घसीट कर हिंदुस्तान कैसे लाया जाए. या फिर पाकिस्तान में ही घुसकर इनका पूरा हिसाब किताब कैसे किया जाए तो आइये आपको सिलसिलेवार बताता हूं कि पाकिस्तान की गोद में पलने वाले ये लोग पाकिस्तान के किन किन ठिकानों पर छुपे हैं. कहां रहते हैं. इनका क्या पता है. इनका रुटीन क्या है. ये करते क्या हैं. तो सबसे पहले शुरूआत सबसे ताज़ा ज़ख्म देने वाले इनसानियत के इस सबसे बड़े दुश्मन से. यानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मौलाना मसूद अज़हर. जो पुलवामा से लेकर उरी और पठानकोट से लेकर संसद भवन तक पर हुए हमले का असली मास्टरमाइंड है.
टारगेट नंबर एक- मसूद अज़हरसंगठन- जैश-ए-मोहम्मद
ठिकाना - बहावलपुर और कराची
काम- सामाजिक संगठन के नाम पर आतंकी तैयार करना
संरक्षण- इमरान खान, पाकिस्तानी सेना, आईएसआई
टारगेट नंबर दो- हाफ़िज़ सईदपहचान- अंतर्राष्ट्रीय घोषित आतंकवादी
इनाम- 10 मीलियन डॉलर
संगठन- लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा
ठिकाना- जौहर टाऊन, लाहौर
काम- कश्मीर की आज़ादी के नाम पर बरगलाना, आतंकी हमले कराना
संरक्षण- इमरान ख़ान, पाकिस्तानी सेना, आईएसआई
नाम- सैय्यद सलाहुद्दीनपहचान- घोषित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी
संगठन- हिज्बुल मुजाहिदीन, यूनाइटेड जेहाद काउंसिल
ठिकाना- पीओके
काम- कश्मीर की आजादी के नाम पर आतंकी हमले करना
संरक्षण- इमरान ख़ान, पाकिस्तानी सेना, आईएसआई
नाम- दाऊद इब्राहिमपहचान- अंतर्राष्ट्रीय माफिया डॉन, मुंबई धमाके का गुनहगार
ठिकाना- क्लिफ्टन रोड, कराची
काम- पाकिस्तान समेत कई मुल्कों में ग़ैर क़ानूनी गतिविधियां
संरक्षण- इमरान ख़ान, पाकिस्तानी सेना, आईएसआई
ऐसा नहीं है कि सरहद के उस पार बैठा कोई भी आतंकी हमारी नज़रों से छुपा हुआ है. हरेक का पता-ठिकाना हमारे पास है. उनका हर मूवमेंट सामने है. बस अब ज़रूरत है तो इन छिपे हुए आतंकियों को इनकी मांद में घुस कर मारने की. ठीक वैसे ही जैसे एबटाबाद में एसामा बिन लादेन को अमेरिकी सील कमांडो मे घर में घुस कर मारा था.
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.