Thursday 31 January 2019

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

छत्तीसगढ़ विधानसभा: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के साथ ही नक्सलवाद, बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं से पार पाने की चुनौती है।
खास बातें
विधानसभा चुनावों में शानदार जीत के बाद लोकसभा चुनावों में क्या उम्मीदें हैं?
आपकी सरकार के सामने प्रमुख चुनौतियां क्या हैं?
किसानों के लिए सरकार क्या स्थायी उपाय कर रही है?
बेरोजगारी की समस्या कैसे हल करेंगे?
नक्सलवाद से कैसे निबटेंगे?
चुनावों में शानदार जीत के बाद लोकसभा चुनावों में क्या उम्मीदें हैं?
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव में हमें तीन चौथाई बहुमत दिलाया है। अब हमारी जिम्मेदारी है कि लोकसभा चुनाव में उन्हें शत प्रतिशत सीटें तोहफे के रूप में दें।

आपकी सरकार के सामने प्रमुख चुनौतियां क्या हैं?
छत्तीसगढ़ की जनता ने 15 वर्ष बाद कांग्रेस को चुना है तो उनकी अपेक्षाएं भी बहुत हैं। हमें विश्वास है कि जो वादे हमने उनसे किए हैं, हम उन्हें पूरा करेंगे। सरकार बनते ही हमने किसानों की कर्जमाफी का वादा पूरा किया। हमारी सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1750 रुपये प्रति कुंतल से बढ़ाकर 2500 रुपये करने का फैसला किया। इसी तरह सभी वादों को पूरा किया जाएगा।
किसानों के लिए सरकार क्या स्थायी उपाय कर रही है?
हमने नारा दिया है छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा गरवा घुरुवा बारी। किसानों की हालत स्थायी रूप से सुधारने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना जरूरी है। सरकार बहुत जल्दी इस लक्ष्य को पूरा कर लेगी। इसमें मनरेगा, कृषि, ग्रामीण विकास, सिंचाई, वन विभाग आदि को जोड़कर योजनाओं को लागू किया जाएगा। इससे सरकार पर कोई अतिरिक्त बोझ भी नहीं होगा।
बेरोजगारी की समस्या कैसे हल करेंगे?
हमारी नीति कृषि क्षेत्र को लाभकारी बनाने और मजबूत करके ज्यादा रोजगार सृजन की है। केवल धान ही नहीं अन्य फसलों, सब्जियों, फलों का उत्पादन बढ़ाना और उससे संबंधित उद्योग लगाने को प्राथमिकता दी जाएगी। छत्तीसगढ़ में वनों में महुआ, चिरौंजी, इमली आदि अनेक फल बहुतायत में पैदा होते हैं। इनके प्रसंस्करण के लिए उद्योग लगाए जाएंगे। जिससे आदिवासियों और अन्य ग्रामीणों को रोजगार मिल सके।
नक्सलवाद से कैसे निबटेंगे?
पिछली सरकार की नीति थी बंदूक का जवाब बंदूक। इसका नतीजा यह हुआ कि तीन ब्लॉक में सीमित नक्सली आज 15 जिलों में फैल गए। जरूरत स्थानीय लोगों का विश्वास हासिल करने की है। हमारी सरकार ने टाटा को उद्योग लगाने के दी गई जमीन किसानों को वापस करने का फैसला किया है। टाटा ने 2016 में सरकार को लिखकर दिया था कि कंपनी वहां उद्योग नहीं लगाएगी। वन अधिकार अधिनियम के तहत सबसे ज्यादा पट्टे छत्तीसगढ़ में निरस्त हुए हैं। जिनके कब्जे 13 दिसंबर 2005 से पहले के हैं उन्हें उनकी जमीन वापस दी जाएगी। तेंदू पत्ते का खरीद मूल्य 2500 रुपए की दर से होती थी, हमने फैसला किया हम 4000 रुपए की दर से खरीदेंगे। सरकार की प्राथमिकता नक्सली प्रभावित इलाकों में स्थानीय जनता का भरोसा जीतने की है। फिर वही लोग बताएंगे कि समस्या का हल कैसे किया जाए।

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