सुप्रीम
कोर्ट ने SC-ST एक्ट में संशोधन पर फैसला वापस लेने से
किया इनकार
एससी-एसटी
एक्ट में जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने बदलाव किया है उसके बाद देशभर में इसके
खिलाफ प्रदर्शन हुआ था और तमाम राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया था। लेकिन एक बार
फिर से सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को सही करार देते हुए इसे वापस लेने या इसमे
संशोधन करने से इनकार कर लिया है। कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट के तहत आरोपियो
को तत्काल गिरफ्तार करने पर रोक लगाना जायज है और इस फैसले को बदलने से इनकार कर
दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर
सुनवाई करते हुए अपने फैसले पर विचार करने से इनकार कर दिया है।
कोर्ट
ने यह भी कहा कि जबतक पुनर्विचार याचिका पर फैसला नहीं हो जाता है तबतक उसका फैसला
लागू रहेगा। इस मामले की अगली सुनवाई 16 मई
को होगी। जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और यूयू ललित की पीठ ने इस दौरान कहा कि वह 100 फीसदी एससी-एसटी समुदाय के अधिकारों की रक्षा
व दोषियों को सजा देने के पक्ष में हैं। कोर्ट ने अपने फैसले को सही ठहराते हुए
कहा कि इस अपराध में अधिकतम सजा 10 वर्ष और न्यूनतम सजा 6 माह है तो अग्रिम जमानत का प्रावधान क्यों
नहीं होना चाहिए। प्राथमिक जांच होनी चाहिए एससी-एसटी के तहत जिन लोगों की
गिरफ्तारी होती है उनकी प्राथमिक जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि फिलहाल ऐसा हो
रहा है कि सभी मामलों में गिरफ्तारी हो रही है, बावजूद
इसके कि पुलिस को लगता है कि मामला फर्जी हो सकता है। लिहाजा प्राथमिक जांच इस तरह
के मामलों में होनी चाहिए और तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं होना चाहिए। गौरतलब
है कि 20 मार्च को कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी
एक्ट के तहत कई बार निर्दोष को आरोपी बनाया गया और अधिकारियों को काम करने से रोका
गया। इस एक्ट का यह मकसद कतई नहीं था। लिहाजा कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के तहत
तुरंत गिरफ्तार पर रोक लगाने के फैसले को सही बताते हुए आरोपियों को जमानत देने का
आदेश दिया था।
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