मंच
पर कांग्रेस के अनुभव एवं ऊर्जावान नेतृत्व का समन्वय,
प्रदेश
कांग्रेस कार्यालय में बनाए गए विशाल मंच पर मध्य प्रदेश कांग्रेस का हर बड़ा नेता
मौजूद है। वह जिन्हें छत्रप कहा जाता है, वह जिनके बारे में कहा जाता है कि वह कभी एकजुट
नहीं हो सकते, वह
जिनके बारे में कहा जाता है कि अपनी सरकारें चलाते हैं, लेकिन इस बार प्रदेश कार्यालय का माहौल
बदला-बदला सा लग रहा है। यहां पर नर्मदा यात्रा पूरी कर राजनीति में लौट रहे
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हैं तो प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए
नाराज अरुण यादव भी मौजूद रहे।
प्रदेश
कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया हैं और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह हैं। इसके सबके बीच
कांग्रेस की उम्मीद और प्रदेश में आगामी विधानसभा का चेहरा प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ
और चुनाव कैंपेन कमेटी के चेयरमैन ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। कमलनाथ ने कांग्रेस
कमेटी के पत्र पर साइन कर पत्र को कार्यकर्ताओं की तरफ दिखाया।
कलाकारी
की सरकार नहीं चलने देंगे
-प्रदेश
अध्यक्ष की औपचारिक रूप से कमान संभालने वाले कमलनाथ ने कहा, कांग्रेस आदिवासियों की रक्षा करेगी।
किसान, युवा
और समाज का हर वर्ग परेशान है। अगर आपने मुझ पर विश्वास जताया है तो भरोसा रखिए
कांग्रेस प्रदेश को खुशहाली के रास्ते पर ले जाएगी। मैं आपका सिर झुकने नहीं
दूंगा। आंकड़ों की कलाकारी बंद करनी होगी। अब ये सरकार नहीं चलने देंगे। कमलनाथ ने
गांधी परिवार से अपने संबंधों को भी याद किया। उन्होंने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण
यादव का धन्यवाद किया। बोले- जब लोग समझते थे कि कांग्रेस हमेशा के लिए समाप्त हो
गई है, तब
अरुण यादव जी ने आगे बढ़कर इसकी जिम्मेदारी संभाली।
-ज्योतिरादित्य
सिंधिया ने कहा, प्रदेश
में दलितों के साथ अत्याचार हो रहा है, उनकी छाती पर एससी-एसटी लिखा जा रहा है। जनता
इस सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए तैयार है, भाजपा की रवानगी तय है।
साये
की तरह साथ रहा बेटा नकुल नाथ
-कमलनाथ
की ताजपोशी में उनका बेटा नकुलनाथ भी साए की तरह साथ रहा। प्रदेश कांग्रेस कमेटी
कार्यालय में पिता कमलनाथ के पीछे से उनका बेटा नकुलनाथ भी मंच पर उपस्थित हुए।
इसके पहले एयरपोर्ट से शुरू हुए रोड शो में वह पिता के साथ खुली जीप में मौजूद
रहे। राजनीतिक हलकों में इसे बेटे अनौपचारिक लांचिंग मानी जा रही है।
अरुण
यादव को मनाकर लाए विवेक तन्खा
-कांग्रेस
आलाकमान के लाख समझाने के बाद भी मध्य प्रदेश में कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने
आ गई। कांग्रेस के इतने बड़े कार्यक्रम में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव
रोड शो में गैरहाजिर रहे। दरअसल, कमलनाथ के रोड शो में शामिल ना होकर पूर्व
प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव अपने सरकारी निवास पर ही मौजूद रहे। इस दौरान अरुण यादव
ने मीडिया के सवालों से भी बचने की कोशिश की।
दिल्ली
से मिले थे एकजुट रहने के निर्देश
-बता
दें कि कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के कार्यक्रम से पहले पार्टी में
एकजुटता दिखाने की कवायद तेज हो गई थी. एआईसीसी महासचिव अशोक गहलोत ने आयोजन में
पार्टी के सभी बड़े नेताओं को मौजूद रहने को कहा है. बताया जा रहा है उन्होंने फोन
कर सोमवार को ही नेताओं को बता दिया था. इसमें पार्टी के फैसले से नाराज माने जा
रहे अरुण यादव को भी मौजूद रहने को कहा गया.
अब
कांग्रेस ने सजा ली अपनी सेना
-देखा
जाए तो अब कांग्रेस ने अपनी चुनावी सेना सजा ली है। नए सेनापति के साथ उनके
जोड़ीदारों को भी खोज लिया गया। अध्यक्ष के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं।
हाईकमान किसी को असंतुष्ट करने के मूड में नहीं लगता! हर इलाके से एक एक मुखिया
खोज लिया गया। बाला बच्चन, रामनिवास रावत, जीतू पटवारी और सुरेंद्र चौधरी
कार्यकारी अध्यक्ष होंगे।
नवंबर
में होने हैं विधानसभा चुनाव
-इसी
साल के अंत में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं, इसलिए मध्यप्रदेश में असल राजनीति अब
दिखाई देगी। कार्यकारी अध्यक्षों की भूमिका क्या होगी, इस बारे कोई खुलासा नहीं किया गया।
शायद होगा भी नहीं, क्योंकि
ये सभी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार भी होंगे और खुद जीतने में ज्यादा ध्यान देंगे।
कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे और दिग्विजय सिंह की रूचि
अब चुनावी राजनीति में है नहीं।
उम्मीदवारों
के चयन पर निर्भर करेगा चुनाव
-अब
कांग्रेस के सामने सारा दारोमदार जीतने वाले उम्मीदवारों के चयन का है। पार्टी यदि
'इसका
आदमी, उसका
आदमी' से
ज्यादा जीतने वाले उम्मीदवार पर दांव लगाए तो नतीजा अपने पक्ष में किया जा सकता
है। क्योंकि, इस
बार के चुनाव में न तो कोई आँधी है न तूफ़ान। बरसों बाद ये ऐसा विधानसभा चुनाव होगा
जिसमें वोटर को अपनी मनःस्थिति से वोट डालने का मौका मिलेगा। भाजपा सरकार के 15 साल के कार्यकाल की खूबियाँ और
खामियां सामने हैं।
कौन
जीतेगा वोटर्स का दिल
-शिवराजसिंह
चौहान ने छवि से प्रदेश के लोगों से खास रिश्ता जोड़ा है। लेकिन, व्यापम, किसानों के मुद्दे और नर्मदा सहित कई
मुद्दे पर सरकार को बैकफुट पर आना पड़ेगा! ऐसे में प्रदेश में ऐंटीइनकम्बेंसी से भी
इंकार नहीं किया जा सकता। कमलनाथ के हाथ में कमान आने के बाद कांग्रेस भी जीत के
लिए हर संभव कोशिश करेगी, पर अभी ये सारे कयास ही हैं कि कौन वोटर्स का
दिल जीतेगा?
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