बॉम्बे
हाईकोर्ट के जज ने पेंडिंग न रहे केस इसलिए 16 घंटे तक सुने 135 केस
बॉम्बे
हाईकोर्ट के जज जस्टिस शाहरुख जे कथावाला शुक्रवार सुबह से शनिवार तड़के तक लगातार 16 घंटे कोर्टरूम में सुनवाई करते रहे।
दरअसल, गर्मी
की छुटि्टयाें के चलते हाईकोर्ट 3 जून तक बंद रहेगा। शुक्रवार को आखिरी वर्किंग
डे था। जस्टिस कथावाला छुट्टी पर जाने से पहले अपने समक्ष लगे ज्यादा से ज्यादा
केस निपटाना चाहते थे। इसलिए साथी जजों के जाने के 10 घंटे बाद तक वह कोर्ट में बैठे रहे।
बॉम्बे हाईकोर्ट के 156
साल के इतिहास में पहला मौका है, जब तड़के 3:30 बजे तक कोर्ट खुला हो। यहां 30-40 साल से वकालत कर रहे लाेगों ने कहा कि
उन्होंने ऐसा कुछ कभी देखा-सुना नहीं है।
एक
हफ्ते से आधी रात तक रुककर सुनवाई कर रहे थे
- जस्टिस
कथावाला अार्बिट्रेशन, इंटलेक्चुअल
प्राॅपर्टी राइट्स और कॉमर्शियल मामलों की सुनवाई करते हैं।
- जस्टिस
एसजे कथावाला के कोर्ट रूम नंबर 20 में पिछले एक हफ्ते से आधी-आधी रात तक काम चल
रहा था, लेकिन
हाईकोर्ट की छुट्टी से पहले पेंडेंसी कम करने के लिए शुक्रवार को सुबह सामान्य
समय में शुरू हुआ उनका कोर्ट शनिवार अल सुबह 3:30 बजे तक चलता रहा। उनके कोर्ट नंबर 20 में वकीलों और याचिकाकर्ताओं की भीड़
लगी रही।
- उन्होंने
शुक्रवार को सुबह से 135 से
ज्यादा मामलों की सुनवाई की, इनमें से 70 अनिवार्य मामले थे।
- दो
हफ्ते पहले भी उन्होंने अपने चैंबर में आधी रात तक एक केस की सुनवाई की थी। आमतौर
पर हाईकोर्ट में सुनवाई 11 बजे शुरू होती है, लेकिन जस्टिस कथावाला 10 बजे ही कोर्टरूम में पहुंच जाते हैं।
सिर्फ
20
मिनट का लिया ब्रेक
- जस्टिस
कथावाला के कोर्ट में मौजूद रहे एडवोकेट हिरेन कमोद ने कहा, "काम के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण
अनुसरणीय है। मैं सुबह साढ़े तीन बजे कोर्ट से निकलने वाले आखिरी तीन लोगों में से
एक था। उन्होंने सिर्फ 20 मिनट का ब्रेक लिया। वह बिना थके कोर्ट में
बैठे रहे और हर तर्क को बेहद ध्यान से सुनते रहे। यह सराहनीय है।"
- आगे
एडवोकेट हिरेन ने बताया,"कोर्ट वकीलों, कोर्ट कर्मचारियों और वादियों से भरा
हुआ था। मामले अर्जेंट बेसिस पर निबटाए जा रहे थे इसलिए किसी ने इसकी शिकायत नहीं
की।"
- कमोद
ने आगे कहा कि ज्यादातर वकील और वादी मध्यस्थता, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स और
व्यावसायिक मामलों की सुनवाई के लिए कोर्ट में मौजूद थे।
2009
में नियुक्त हुए थे एडिशनल जज
- जस्टिस
कथावाला ने 2009
में हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में शपथ ली थी और जुलाई 2011 में वह कोर्ट में स्थायी जज के रूप
में नियुक्त हुए। काम के प्रति उनकी निष्ठा की ज्यादातर लोग तारीफ करते हैं।
कई
बार चेंबर में सुनाते हैं फैसला
- जज
कथावाला के साथ सात साल तक उनके सेक्रेटरी के रूप में काम कर चुके केपीपी नायर का
कहना है, "मैंने
15
जजों के साथ काम किया है, लेकिन कोई भी कथावाला की ऊर्जा की बराबरी नहीं
कर सकता। वह छोटे मामलों पर फैसला कोर्ट में ही सुना देते हैं और बड़े मामलों को
वह अपने चेम्बर में डिक्टेट करते हैं। मैं डिक्टेशन के लिए रविवार को भी उनके घर
जा चुका हूं।"
पूर्व
चीफ जस्टिस खेहर ने दी थी छुटि्टयों में काम करने की नसीहत
देश
के पूर्व चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की 150वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम में कहा था
कि सभी जज छुटि्टयों में पांच दिन काम करें। हर जज 25-30 केस निपटाएगा तो हजारों पेंडिंग
मुकदमे कम हो जाएंगे।
पेंडेंसी
: 3.10
करोड़ से ज्यादा केस
- 60
हजार से ज्यादा केस सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।
- 40
लाख केस देश के 24
हाईकोर्ट में पेंडिंग हैं।
- 2.74
करोड़ मुकदमे निचली अदालतों में लंबित हैं।
वेकेंसी
: 24
हाईकोर्ट में 38%
सुप्रीम कोर्ट में जजों के 31 पद हैं, लेकिन सात खाली हैं।
- 24
हाईकोर्ट में 1079
जजों के पद हैं, लेकिन
38%
यानी 413
खाली।
- निचली
अदालतों में 5,925 पद
खाली।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.