नया रोस्टर सिस्टम बना अब 'सुप्रीम'
विवाद
के बाद
सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों द्वारा
मामलों के आवंटन पर सवाल खड़े करने के बाद अब चीफ जस्टिस ने नए मामलों के आवंटन के
लिए नया रोस्टर सिस्टम लागू कर दिया है। इसके तहत चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच
अगले हफ्ते से तमाम जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। 5 फरवरी से लागू
नए रोस्टर के तहत सुप्रीम कोर्ट के तमाम सीनियर जजों के लिए केस के आवंटन की
कैटिगरी तय करते हुए उसे वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया गया है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पर चार
वरिष्ठ जजों ने आरोप लगाया था कि केसों के आवंटन में अनियमितताएं हो रही हैं। इसके
बाद नए केसों के लिए रोस्टर लागू किया जाना अहम माना जा रहा है। हालांकि तमाम
जनहित याचिकाओं पर खुद चीफ जस्टिस सुनवाई करेंगे और इस तरह नया पीआईएल 4 सीनियर जजों सहित अन्य किसी और जज के
सामने सुनवाई के लिए नहीं जाएगा।
चीफ जस्टिस की बेंच इन मामलों को देखेगी
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के आदेश से सुप्रीम
कोर्ट में रोस्टर सिस्टम को लागू कर दिया गया है। इसके तहत चीफ जस्टिस की अगुवाई
वाली बेंच में तमाम जनहित याचिकाएं और लेटर से दाखिल किए जाने वाली याचिका से
संबंधित मामले की सुनवाई होगी। साथ ही सर्विस मैटर, समाजिक न्याय से संबंधित मामले, चुनाव से संबंधित मामले, ऑर्बिट्रेशन मामला,
बंदी प्रत्यक्षीकरण से संबंधित मामले, क्रिमिनल केस, अदालत
की अवमानना से संबंधित मामले, साधारण
सिविल मामले, विधायी
नियुक्ति के मामले, जांच
आयोग से संबंधित मामले की सुनवाई भी चीफ जस्टिस की बेंच में होगी।
गौरतलब है कि हादिया मामला बंदी प्रत्यक्षीकरण
का मामला है। वहीं, सिनेमाघरों
में राष्ट्रगान का मामला जनहित याचिका से संबंधित मामला है। साधारण सिविल मामले
में अयोध्या विवाद से संबंधित मामले हैं। विधायी व संवैधानिक पदों पर नियुक्ति से
संबंधित मामले की सुनवाई खुद चीफ जस्टिस करेंगे यानी CAG, चुनाव आयुक्त जैसे पदों पर होने वाली
नियुक्ति को अगर चुनौती दी जाती है तो चीफ जस्टिस ऐसे मामले को खुद सुनेंगे। गौर
करने वाली बात यह है कि चीफ जस्टिस ने रोस्टर संबंधित नियम आगे के मामलों के लिए
लागू किए हैं यानी पहले से जो मामले जिस बेंच में हैं उनकी सुनवाई वही बेंच करेगी।
कुछ ऐसा है वरिष्ठ जजों का रोस्टर
सीनियर जजों में जस्टिस जे. चेलामेश्वर की बेंच
में लेबर मामले, भूमि
अधिग्रहण, क्रिमिनल
मामले, कन्ज़्यूमर
प्रोटेक्शन केस आदि सुने जाएंगे। वहीं, जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच में लेबर मामला, अप्रत्यक्ष कर, कंपनी लॉ, कंटेप्ट, पर्सनल लॉ आदि से संबंधित मामले लिस्ट होंगे। जस्टिस मदन बी. लोकूर
की अगुआई वाली बेंच में सर्विस मैटर, वन संरक्षण मामला,
सामाजिक न्याय से संबंधित मामले, पर्सनल लॉ और उपभोक्ता संरक्षण से संबंधित मामले की सुनवाई होगी।
जस्टिस कुरियन जोसेफ की बेंच के सामने लेबर, रेंट ऐक्ट, सर्विस
मैटर, वैवाहिक विवाद
मामला आदि से संबंधित मामले की सुनवाई की जाएगी।
वरीयता के आधार पर सिस्टम
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने वरीयता के आधार
पर 12 जजों की अगुआई
में 12 कोर्ट के सामने
किस तरह के मामले आवंटित किए जाएंगे इसके लिए रोस्टर सिस्टम को लागू कर दिया है।
गौरतलब है कि 12
जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के 4
सीनियर जज जस्टिस जे. चेलामेश्वर,
जस्टिस कुरियन जोसेफ,
जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने चीफ जस्टिस के खिलाफ
सवाल खड़े किए थे। जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा था कि 'सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन कई बार ठीक से काम नहीं करता। पिछले कुछ
महीनों में ऐसी कुछ बातें हुई जिसकी अपेक्षा नहीं थी। इस संस्थान को बचाए बगैर लोकतंत्र
नहीं बचा रह सकता। हम चारों को ये लगता है कि लोकतंत्र दाव पर है।'
जजों ने लगाए थे गंभीर आरोप
एक सवाल के जवाब में जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा
था कि केसों का आवंटन भी एक मामला है। क्या जज लोया केस के आवंटन का मामला है, इस सवाल पर जस्टिस रंजन गोगोई ने हां
में जवाब दिया था। जजों ने आरोप लगाते हुए कहा था कि ऐसे कई उदाहरण हैं जिसमें चीफ
जस्टिस ने देश को प्रभावित करने वाले मामलों को पसंदीदा बेंच को सौंपा जिसके लिए
कोई तार्किक आधार नहीं था।
इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस के बाद विवाद काफी गहरा
गया था। जज लोया की मौत के मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने सुनवाई
से खुद को अलग कर लिया था जिसके बाद चीफ जस्टिस खुद मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
जजों के बीच विवाद को सुलझाने के लिए चारों सीनियर जज और चीफ जस्टिस की मीटिंग भी
हुई। चारों जजों ने केसों के आवंटन सुनिश्चित करने के बारे में चीफ जस्टिस को
सुझाव भी दिए थे।
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