राजस्थान में राजे को लेकर भाजपा में असमंजस,
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पर गिर सकती है गाज
राजस्थान में दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर
हुए उपचुनाव में भाजपा को मिली करारी हार के बाद सूबे की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे
के खिलाफ पार्टी के अंदर से विरोध के स्वर उठने लगे हैं। उपचुनाव में पार्टी की
करारी हार के बाद कोटा भाजपा के ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष अशोक चौधरी ने पार्टी
अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया है कि राजस्थान भाजपा का
कार्यकर्ता प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन चाहता है। उन्होंने प्रदेश की मुख्यमंत्री
वसुंधरा राजे और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से अशोक परनामी को हटाने की मांग की है।
चौधरी ने भाजपा अध्यक्ष को सूबे की जमीनी
हालातों से अवगत कराते हुए लिखा है कि संगठन के एक-एक कार्यकर्ता के मन में भाजपा
सरकार के प्रति गहरा आक्रोश पनप रहा है। प्रदेश के सरकार और संगठन दोनों ही जगह
नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर उन्होंने कहा है कि नए नेतृत्व में कार्यकर्ता जोश के
साथ वर्ष के अंत में होने वाले चुनाव में उतरेंगे तो पार्टी हित के लिए बेहत्तर
होगा। इससे पहले वित्त मंत्री अरूण जेटली भी राजस्थान उपचुनाव में पार्टी की करारी
हार पर चिंता जता चुके हैं।
खबरिया चैनलों से बातचीत में जेटली ने कहा है
कि राजस्थान उपचुनाव के नतीजे पार्टी के लिए चिंताजनक है। इस मामले में उन्होंने
सूबे की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से बातचीत भी की है। जेटली ने कहा है कि प्रदेश
भाजपा उपचुनाव में हुई हार के कारणों को समझने में लगी है। सुधार के कदम उठाए
जाएंगे। लेकिन जेटली के बयान के अगले दिन ही कोटा भाजपा के नेता का पत्र सामने आया
है।
राजे पर अनिर्णय की स्थिति में भाजपा आलाकमान
भाजपा के वर्तमान केंद्रीय नेतृत्व के साथ
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के राजनीतिक संबंध पहले से ही मधुर नहीं रहे
हैं। बावजूद उसके भाजपा नेतृत्व ने राजे को मुख्यमंत्री पद पर बरकरार रखा है।
नेतृत्व को राज्य के जमीनी सियासी हालातों से लगातार फीडबैक भी समय-समय पर प्राप्त
होते रहे हैं। इस वर्ष के अंत में होने वाले भाजपा शासित राज्यों में अगर सबसे
ज्यादा कहीं पार्टी की स्थिति खराब है तो वह राज्य राजस्थान है। उपचुनाव के नतीजों
ने भी उसी ओर संकेत किए हैं। जिसके संकेत भाजपा आलाकमान को पहले से ही मिल रहे थे।
बावजूद उसके केंद्रीय नेतृत्व राजे को मुख्यमंत्री बनाए हुए है। इस वजह से प्रदेश
के वरिष्ठ नेताओं और सांसदों में केंद्रीय नेतृत्व के प्रति भी निराशा का भाव है।
लेकिन इस हालात के बावजूद भाजपा आलाकमान अब भी
राजे को सीधे हटाए जाने के मूड में नजर नहीं आ रहा है। राजे पर अनिर्णय की स्थिति
बनी हुई। सूबे में पार्टी की हार दिखने के बावजूद भी केंद्रीय नेतृत्व वसुंधरा
राजे पर अभी निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है। नेतृत्व को राजे का पुराना इतिहास
याद आ रहा है। तब तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के जरिए फरमान जारी करने के
बावजूद भी राजे ने विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा नहीं दिया था। बाद
में आलाकमान को ही पैर पीछे खींचने पड़े थे।
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