अयोध्या मामले का निपटारा भूमि विवाद के रूप
में होगा: सुप्रीम कोर्ट
अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का
निपटारा सबूतों के आधार पर अब अन्य भूमि विवाद के रूप में किया जाएगा। बता दें कि
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि इस तरह से 70 वर्ष पुराने
विवाद से पैदा हुए तनाव को कम करने की कोशिश की गई है।
अयोध्या मामले में लोगों से खचाखच भरी हुई
अदालत में मुख्य न्यायाधीशदीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अशोक भूषण, एस अब्दुल नजीर का लगभग 2 बजे इंतजार
किया जा रहा था। 5 दिसंबर को तीन वरिष्ठ अधिवक्ताओं, कपिल सिब्बल, दुष्यंत
दवे और राजीव धवन ने इस मामले को जुलाई 2019 तक स्थगित करने की मांग की थी। दरअसल, इसके पीछे की वजह थे लोकसभा चुनाव।
गुरुवार को अदालत की कार्यवाही के दौरान सिब्बल और दवे मौजूद नहीं थे।
इस पूरे मामले में बेंच ने कहा, 'कुछ भी हो लेकिन यह मामला तो जमीन
विवाद से ही जुड़ा हुआ है। इसमें दोनों पक्षों की ओर से दावा किया गया है। इस
मामले को हम एक भूमि विवाद के रूप में साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए और दोनों
पक्षों की सुनवाई के बाद ही तय करेंगे।'
जब कपिल सिब्बल बोले- मामले की सुनवाई में इतनी
जल्दी क्यों है
2.77 एकड़ की भूमि, जिसके अधिकार को लेकर दो पक्षों द्वारा
गहमगहमी की स्थिति है उसमें सबसे पहले विवाद की स्थिति को खत्म करना जरूरी है।
हालांकि, 5 दिसंबर के
आदेश के बावजूद कोर्ट ने इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए सुनवाई और टाल दी है।
गौरतलब है कि 5 दिसंबर को हुई पिछली सुनवाई में मुस्लिम पक्षकार की ओर से पेश वकील
कपिल सिब्बल ने कहा था कि मामले की सुनवाई के लिए इतनी जल्दी क्यों है। राम
जन्मभूमि ट्रस्ट, राम
लला व अन्य की ओर से हरीश साल्वे और सीएस वैद्यानथन व अन्य पेश हुए थे। साल्वे ने
कहा था कि अपील 7 साल से पेंडिंग है। इस बात का किसी को नहीं पता कि क्या फैसला
होना है। मामले में सुनवाई होनी चाहिए। कोर्ट को इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि
बाहर क्या परिस्थितियां है और क्या हो रहा है।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.