Friday 16 February 2018

"अय्यारी' अच्छी परफॉर्मेंस और लम्बी कहानी है


"अय्यारी' अच्छी परफॉर्मेंस और लम्बी कहानी है 


नीरज पांडे हमेशा से ही राजनीतिक मुद्दों पर आधारित फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं, चाहे "बेबी' हो, "स्पेशल 26 या प्रोड्यूसर के तौर पर "नाम शबाना', नीरज ने इस बार भी कुछ ऐसे ही मुद्दे पर आधारित फिल्म "अय्यारी' बनाई है। आइए जानते हैं, कैसी है यह फिल्म...
कहानी की शुरुआत आर्मी हेड क्वार्टर से होती है, जहां ब्रिगेडियर के.श्रीनिवास (राजेश तैलंग) माया (पूजा चोपड़ा) से शिनाख्त करते देखे जाते हैं। श्रीनिवास जानना चाहते हैं कि आखिरकार एक ही टीम के कर्नल अभय सिंह (मनोज बाजपेयी) और मेजर जय बख्शी (सिद्धार्थ मल्होत्रा) के बीच अलगाव कैसे हुआ और दोनों एक-दूसरे से बेइंतेहा नफरत क्यों करते हैं? एक तरफ रूप बदलकर कर्नल अभय सिंह के कारनामे दिखाई देते हैं, वहीं दूसरी तरफ अलग-अलग अवतार में जय बख्शी बहुत से काम करते हुए नज़र आते हैं। फिल्म में सोनिया (रकुल प्रीत सिंह), तारिक भाई (अनुपम खेर), बाबूराव (नसीरुद्दीन शाह), आदि का क्या रोल है यह आपको थिएटर में फिल्म देखकर ही मालूम चलेगा।
फिल्म का डायरेक्शन बढ़िया है। एक्शन सीक्वेंस के साथ आने वाले ट्विस्ट और टर्न्स भी सरप्राइज करते हैं। फिल्म के माध्यम से कश्मीर में अशांति, इनकम टैक्स, आर्मी के लिए खरीदे जाने वाले हथियारों समेत कई मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है। फिल्म की कहानी बढ़िया है लेकिन स्क्रीनप्ले और बेहतर हो सकता था। फर्स्ट हाफ काफी लंबा है लेकिन सेकंड हाफ में कहानी और भी हिलती हुई नजर आती है।
जिस तरह से सिद्धार्थ से डायरेक्टर ने काम निकाला है, ऐसा पहले कोई भी डायरेक्टर नहीं कर पाया है। वहीं मनोज ने एक बार फिर से बेहतरीन परफॉरमेंस दी। रकुलप्रीत का काम भी सहज है। नसीरुद्दीन शाह के ज्यादा सीन तो नहीं हैं लेकिन आकर्षण का केंद्र जरूर बने रहते हैं। बाकी एक्टर्स ने अच्छा काम किया है।

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