आज से शुरू होगा बैठकों का सिलसिला सुप्रीम
कोर्ट में जजों के बीच उठे विवाद को सुलझाने के लिए,
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की ओर से
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की कार्यशैली पर उठाए गए सवाल के बाद अब मामले को
सुलझाने की कोशिश शुरू हो गई है. शनिवार को सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल की बैठक में
फैसला लिया गया है कि काउंसिल के सदस्य सुप्रीम कोर्ट के अन्य 23
जजों से मिलेंगे, जिनमें से अधिकांश चर्चा के लिए तैयार हैं.
उसके बाद वो चारों असहमत जजों के मिलेंगे और अंत में मुख्य न्यायाधीश से. ये
बैठकें रविवार से शुरू होंगी. बार काउंसिल के सूत्रों ने कहा कि जजों को फुल कोर्ट
मीटिंग बुलानी चाहिए और अगर मुख्य न्यायाधीश उनकी चिंताओं को दूर करने में सक्षम
नहीं हैं तो उन्हें राष्ट्रपति से संपर्क करना चाहिए.
10 बड़ी बातें
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने NDTV से
कहा, 'हम नहीं चाहते कि ऐसे मामले सार्वजनिक रूप से हल किए जाएं, इसे
आतंरिक रूप से ही हल कर लिया जाना चाहिए. कैमरे के सामने जाने से हमारा सिस्टम
कमजोर ही होगा.'
एससीबीए के प्रस्ताव में कहा गया है कि 15
जनवरी को शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध मामलों को भी अन्य न्यायाधीशों
के पास से कॉलेजियम में शामिल पांच सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीशों के पास भेज दिया
जाना चाहिये.
एससीबीए अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास
सिंह ने कहा कि पूर्ण अदालत के विचार करने का प्रस्ताव पारित किया गया क्योंकि यह
एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें शीर्ष अदालत के सभी न्यायाधीशों के बीच अंदरूनी चर्चा
होती है और खुले में चर्चा नहीं होती है.
प्रस्ताव पढ़ते हुए सिंह ने कहा, ‘‘उच्चतम
न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों ने संवाददाता सम्मेलन में जो मतभेद बताए और
अन्य मतभेद जो समाचार पत्रों में दिखे हैं वे गंभीर चिंता का विषय हैं और उसपर
उच्चतम न्यायालय की पूर्ण अदालत को तत्काल विचार करना चाहिये.’’
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘सुप्रीम
कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि लंबित
मामलों समेत सभी जनहित याचिकाओं पर या तो प्रधान न्यायाधीश को विचार करना चाहिये
या उन्हें किसी अन्य पीठ को सौंपना है तो उसे कॉलेजियम में शामिल न्यायाधीशों को
सौंपना चाहिये.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ एक तरह से बगावत करने
वाले उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने
आज कहा कि मुद्दे के हल के लिए किसी बाहरी हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है. वहीं,
सुप्रीम
कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने कहा कि मामले पर पूर्ण अदालत को विचार करना
चाहिये.
न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, ‘‘एक
मुद्दा उठाया गया. जो इसे लेकर चिंतित थे, उन्होंने उसे सुना. इसलिए (मेरा) मानना
यह है कि मुद्दे का हल हो गया है.’’ मामले के हल के लिए बाहरी हस्तक्षेप की
जरूरत नहीं है क्योंकि यह मामला हमारे संस्थान के भीतर उठा है. इसे दुरुस्त करने
के लिए संस्थान को ही जरूरी कदम उठाने होंगे.’’
वकीलों के सर्वोच्च निकाय बार काउन्सिल ऑफ
इंडिया (बीसीआई) ने शीर्ष अदालत के मौजूदा संकट पर चर्चा करने के लिये उच्चतम
न्यायालय के न्यायाधीशों से मुलाकात करने के लिये सात सदस्यीय दल का गठन किया है.
चार न्यायाधीशों में शामिल न्यायमूर्ति रंजन
गोगोई ने संकट के हल के लिए आगे की दिशा के बारे में पूछे जाने पर कोलकाता में कहा,
‘‘कोई
संकट नहीं है.’’ न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि मामला राष्ट्रपति
के संज्ञान में नहीं लाया गया है क्योंकि उच्चतम न्यायालय या उसके न्यायाधीशों को
लेकर उनकी कोई संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं है.
चारों न्यायाधीशों के संवाददाता सम्मेलन करने
के एक दिन बाद यानी शनिवार को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा प्रधान
न्यायाधीश के घर पहुंचे लेकिन वहां दरवाजे नहीं खुले और थोड़ी देर इंतजार करने के
बाद मिश्रा वापस लौट गए.
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