अजय
सिंह चुनाव समिति अध्यक्ष…कमलनाथ प्रदेशाध्यक्ष, सिंधिया मुख्यमंत्री का चेहरा,
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल
गांधी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पप्पू से परिपक्व नेता बना दिया है,
इसलिए
राहुल गांधी की बढ़ती हुई ताकत से नरेन्द्र मोदी को नुकसान भले न हो, लेकिन
एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए कांग्रेस को तैयार रहने के लिए रास्ता
मिल गया है। यह सब हुआ गुजरात और हिमाचल प्रदेश राज्य में हाल ही में हुए विधानसभा
चुनावीमैराथन में, मोदी ने कहा तू डाल-डाल, मैं पात-पात,
तो
राहुल गांधी ने कहा-मोदी जी आप देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं, जातियों
में और संप्रदायों में बांट रहे हैं। तो मोदी भी कमजोर नहीं हुए, उन्होंने
पूछा राहुल गांधी ‘अब जनेऊ क्यों पहन रहे हैं, और
तो और शिव जी पूजा का दिखावा क्यों कर रहे हैं? तरह-तरह के
आरोप-प्रत्यारोपों के बाद जो कुछ देश की राजनीति में बदलाव आया है, वह
यह कि नरेन्द्र मोदी यदि ईमानदार प्रधानमंत्री हैं और देश को सही दिशा में ले जा
रहे हैं, तो राहुल गांधी मोदी की वजह से ही पप्पू से परिपक्व नेता बन गए हैं।
अब राहुल गांधी के सवाल, राजनैतिक फैसले और उनके नेतृत्व में
पनप रहा कांग्रेस का संगठन नरेन्द्र मोदी के लिए चुनौती बन चुका है। इसी के चलते
राहुल गांधी ने सबसे पहले गुजरात में मिली ऊर्जा का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ राज्य में
कांग्रेस संगठन और चुनाव की रणनीति में व्यापक परिवर्तन करके कर दिया है।
छत्तीसगढ़ के बाद अब बारी है मध्यप्रदेश की, जहां कांग्रेस
संगठन ने और 2018 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के
रणनीतिकारों में राहुल गांधी द्वारा शीघ्र ही व्यापक परिवर्तन के संकेत मिले हैं।
सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी ने यह बात अच्छी
तरह समझ ली है कि मध्यप्रदेश में भाजपा के पोस्टर ब्वॉय बन चुके मामा ब्रांड
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चुनाव में हरा पाना और सत्ता हासिल करना
कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर है, परंतु यदि मेहनत होगी और नेता एकजुट
होंगे, तो चुनाव का रण जीता जा सकता है। इसलिए मध्यप्रदेश में यदि पूर्व
मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अलग भी किया जाए, तो भी उनके
समर्थकों का कांग्रेस के लिए उपयोग नुकसानदायक नहीं है, यह बात राहुल
गांधी ने समझ लिया है। बताया जाता है कि दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के चुनावी
रणनीति से दूर रखे जाएंगे, परंतु जिन पांच बड़े नेताओं को मतलब
कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अजय सिंह, अरुण यादव और
सुरेश पचौरी पर भरोसा किया जाएगा, उन्हें यह जरूर कहा जाएगा कि दिग्विजय
समर्थक कांग्रेस से जुड़े रहे, इस राजनीतिक समीकरण से उपरोक्त सारे
नेता काम करें। दिल्ली के अखिल भारतीय कांग्रेस कार्यालय की सूचना के मुताबिक
राहुल गांधी ने वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव और आदिवासी नेता, सांसद
कांतिलाल भूरिया के महत्व को बरकरार रखने के लिए कहा है। राहुल गांधी के सबसे
ज्यादा नजदीक होने का फायदा कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही मिलेगा,
ऐसा
संकेत आज दिल्ली में चल रही मध्यप्रदेश के मामले की बैठक में लिया जा सकता है। यदि
ऐसा हुआ तो कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष होंगे, ज्योतिरादित्य
सिंधिया चुनाव अभियान के प्रमुख स्टार (मुख्यमंत्री का चेहरा) हो सकते हैं,
अजय
सिंह, अरुण यादव और कांतिलाल भूरिया चुनाव अभियान समिति में निर्णायक सदस्य
होंगे, लेकिन रणनीतिकार के रूप में प्रचार-प्रसार और मध्यप्रदेश की विधानसभा
अनुसार उम्मीदवारों के जीत-हार का ऑकलन करने की जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस के
पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी के कंधों पर होगी। कांग्रेस
में इस तरह के यदि बदलाव के संकेत फैसलों में बदलते हैं, जैसा कि दिल्ली
में चल रही बैठक के बाद होने वाला है, तो फिर यह मान लेने में कोई अतिशयोक्ति
नहीं होगी कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस कुछ ही दिनों के अंदर मैदान में अपने
उपरोक्त सभी नेताओं के साथ उतरेगी और राहुल गांधी के चेहरे को मुखौटा बनाकर शिवराज
सिंह चौहान को चुनौती देने की कोशिश की जाएगी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े
एक प्रमुख व्यक्ति ने राष्ट्रीय हिन्दी मेल से कहा कि राहुल गांधी का उपरोक्त फैसला
हमें मुसीबत में तो डालेगा, लेकिन शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश
भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान की जोड़ी इतनी मजबूत है कि हम गुजरात की तरह
यहां पर भी भाजपा की चौथी बार सरकार बनाने में सफल हो जाएंगे।
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