गणतंत्र
दिवस के अवसर पर ASEAN के 10 नेता रहे मुख्य अतिथि, भारत की सांस्कृतिक छटा और सैन्य ताकत राजपथ
पर दिखी
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी केसरिया, लाल
और हरे रंग का साफा बांधे हुए थे. परेड शुरू होने से पहले उन्होंने देश की
आन-बान-शान की रक्षा में अपना जीवन उत्सर्ग करने वाले सेना के वीर जवानों की
स्मृति में इंडिया गेट पर अनवरत दीप्यमान अमर जवान ज्योति पर पुष्प-चक्र चढ़ाया.
भारत
के 69वें गणतंत्र दिवस समारोह में राजपथ पर
आयोजित रंगारंग समारोह में आसियान के 10 देशों के राष्ट्र-प्रमुखों और शासनाध्यक्षों ने मुख्य अतिथि के रूप
में हिस्सा लिया. इनकी उपस्थिति ने इस समारोह के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा.
भारत के बढ़ते प्रभाव को दिखाती है आसियान नेताओं की मौजूदगी
आसियान
नेताओं की उपस्थिति एक ऐसे क्षेत्र के साथ भारत के निरंतर गहरे होते संबंधों और
भारत के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है जहां चीन अपना वर्चस्व बढ़ाने की फिराक में
है. यह पहला अवसर है जब गणतंत्र दिवस समरोह में इतनी अधिक संख्या में मुख्य अतिथि
शामिल हुए हैं.
जयपुरी बांधनी चुन्नी ओढ़े हुए थे मुख्य अतिथि
अभूतपूर्व
सुरक्षा व्यवस्था के बीच राजपथ पर आयोजित परेड में सलामी मंच पर राष्ट्रपति रामनाथ
कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ आसियान के 10 देशों के नेता मौजूद थे. अतिविशिष्ट
व्यक्तियों के लिए बनाए गए 100 फुट के सलामी मंच पर मुख्य अतिथिगण जयपुरी बांधनी चुन्नी ओढ़े हुए
थे. सभी राष्ट्राध्यक्ष भारतीयता के रंग में रंगे नजर आए.
इन
मुख्य अतिथियों में ब्रुनेई के सुल्तान हाजी-हसनल-बोल्किया मुइज्जाद्दीन वदाउल्लाह, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो, फिलीपीन के राष्ट्रपति रोड्रिगो रोआ
डूतरेत, कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग, मलेशिया के प्रधानमंत्री दातो स्री
मोहम्मद नजीब बिन तुन अब्दुल रज़ाक, थाईलैंड के प्रधानमंत्री जनरल प्रयुत छान-ओ-चा, म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सांग
सू ची, वियतनाम के प्रधानमंत्री नग्युएन जुआन
फूक और लाओ पीडीआर के प्रधानमंत्री थोंगलोंन सिसोलिथ शामिल थे. आसियान नेताओं में
कुछ के साथ उनके उनकी पत्नियां थीं.
केसरिया, लाल और हरे रंग का साफा बांधे थे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी केसरिया, लाल
और हरे रंग का साफा बांधे हुए थे. परेड शुरू होने से पहले उन्होंने देश की
आन-बान-शान की रक्षा में अपना जीवन उत्सर्ग करने वाले सेना के वीर जवानों की
स्मृति में इंडिया गेट पर अनवरत दीप्यमान अमर जवान ज्योति पर पुष्प-चक्र चढ़ाया.
रायसीना हिल्स पर राष्ट्रपति भवन के सामने राजपथ पर होने वाली इस रस्मी परेड को
देखने के लिए मार्ग के दोनों हजारों की संख्या में पुरूष-महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग वृद्ध सुबह से
एकत्रित थे.
गणतंत्र
दिवस समारोह में शामिल आसियान नेता इससे पहले राजधानी में कल आयोजित आसियान-भारत
शिखर बैठक में शामिल हुए. कल ही इन 10 देशों में से प्रत्येक के यहां के एक-एक व्यक्ति को उसके उल्लेखनीय
योगदान के लिए ‘पद्म अलंकरणों’ से विभूषित करने की घोषणा की गयी.
एक-एक
कर के राजपथ पर पहुंचे 10
देशों के राष्ट्राध्यक्ष
दर्शकों
का कौतूहल था कि इस बार सबसे पहले किस देश के राष्ट्राध्यक्ष राजपथ पर पहुंचेंगे.
उनके इस उत्साह का अंत हुआ लाओ पीडीआर के प्रधानमंत्री थोंगलोंन सिसोलिथ के आगमन
से. इसके बाद तो जैसे एक-एक करके 10 देशों के राष्ट्राध्यक्ष का राजपथ पर आना शुरु हो गया.
जब
राजपथ पर हुई आंग सांग सू ची के नाम की घोषणा
लाओ
के बाद वियतनाम के प्रधानमंत्री नग्युएन जुआन फूक राजपथ पर पहुंचे. इसके बाद जैसे
ही म्यांमार की स्टेट काउंसलर और नोबल पुरस्कार विजेता आंग सांग सू ची के आगमन
की घोषणा हुई तो दर्शकों के बीच बेहद कोलाहल देखा गया. शायद इसकी अहम वजह म्यांमार
से भारतीयों का परिचय ज्यादा बेहतर होना है.
आंग
सांग सू ची के बाद राजपथ पर थाईलैंड के प्रधानमंत्री जनरल प्रयुत छान-ओ-चा का आगमन
हुआ और पांचवें क्रम पर मलेशिया के प्रधानमंत्री दातो स्री मोहम्मद नजीब बिन तुन
अब्दुल रज़ाक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगवानी की.
सभी
राष्ट्राध्यक्षों के बाद सलामी मंच पर पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
राष्ट्राध्यक्षों
के आने का सिलसिला इसी तरह जारी रहा और परेड स्थल पर छठे क्रम पर सिंगापुर के
प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग, सातवें नंबर पर कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन, आठवें क्रम पर फिलीपीन के राष्ट्रपति
रोड्रिगो रोआ डूतरेत और नौंवे क्रम पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो
सलामी मंच पर पहुंचे. अंत में ब्रुनेई के
सुल्तान हाजी-हसनल-बोल्किया मुइज्जाद्दीन वदाउल्लाह का आगमन हुआ. सभी
राष्ट्राध्यक्षों के पधारने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सलामी मंच पर पहुंचे.
इसके साथ ही गणतंत्र दिवस समारोह की विधिवत शुरुआत हो गई.
भारत
की एक्ट ईस्ट नीति दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ उसके प्रचीन संबंधों को
बेहतर बनाने के साथ ही राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक
और सांस्कृतिक संबंधों को फिर स्थापित करती है. भारत और आसियान देशों की साझा
आबादी 1.85 अरब है जो दुनिया की आबादी की
एक-चौथाई बैठती है. भारत-आसियान का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3.8 अरब डॉलर के बराबर है.
आसियान..भारत
संबंधों पर दो झांकियां थीं
राजपथ
पर सैन्य परेड और सांस्कृतिक एवं विकास मूलक झांकियों के काफिले में आसियान..भारत
संबंधों पर दो झांकियां थीं. पहली झांकी में आसियान भारत संबंध के 25 वर्ष : साझा मूल्य, समान लक्ष्य, शिक्षा एवं व्यापार और दूसरी झांकी में
आसियान-भारत संबंध के 25
वर्ष : साझा मूल्य, समान
लक्ष्य, संस्कृति और धर्म का चित्रण किया गया.
पहली झांकी के आगे के हिस्से में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का चित्रण भी था.
श्रीविजय राजाओं में से एक बलपुत्रदेव ने श्रीविजय के विद्यार्थियों के लिये
नालंदा में एक मठ का निर्माण किया था.
झांकी
के पिछले भाग में ‘बाली
यात्रा’ को दर्शाया गया. किनारे की पट्टियों
में आसियान देशों के बाजारों को दिखाया गया. आसियान के साथ 28 जनवरी 1992 को भारत की डायलॉग पार्टनरशिप स्थापित होने के
बाद संबंध काफी मजबूत हुए हैं. आज आसियान, भारत का रणनीतिक सहयोगी है. भारत और आसियान के बीच 30 वार्ता तंत्र हैं. पिछले 17 साल में आसियान देशों से भारत में 70 अरब डालर का निवेश हुआ है. यह भारत
में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के 17 प्रतिशत से अधिक है. इसी दौरान आसियान देशों में भारत का निवेश 40 अरब डालर के बराबर रहा.
सरकार
ने एक अभूतपूर्व कदम के तहत 10 आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष/शासनाध्यक्षों को इस बार के गणतंत्र
दिवस समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर
भारत-आसियान स्मारक शिखर सम्मेलन भारत-आसियान संबंधों के 25 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित किया
गया.
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