टेंट व्यवसाय से आत्म-निर्भर बनी क्रांति
अहिरवार
विदिशा जिले के ग्राम हिरनई की श्रीमती क्रांति
अहिरवार स्वयं का व्यवसाय करके आत्म-निर्भर बनना चाहती थीं और परिवार को आर्थिक
रूप से मजबूती देना चाहती थीं। क्रांति के पति मजदूरी करके जैसे-तैसे अपने घर का
गुजर-बसर करते थे। मजदूरी से इतनी भी आमदनी नहीं हो पाती थी कि उनका परिवार अच्छे
तरीके से जीवन-निर्वहन कर सके। परिवार को अनेकों बार आर्थिक तंगहाली का सामना करना
पड़ता था।
क्रांति जहाँ काम करने जाती थी, वहाँ
पर सहकारी विभाग के अधिकारियों से स्व-रोजगार योजना के संबंध में चर्चा हुई।
सलाह-मशवरा के बाद मिलने-जुलने वालों ने टेंट का व्यवसाय करने की सलाह दी। क्रांति
ने इस संबंध में अपने पति से भी चर्चा की। उन्होंने यह बात बैंक वालों से भी की।
बैंक के अधिकारियों का कहना था कि टेंट का व्यवसाय एक महिला कैसे कर सकेगी।
उन्होंने बैंक के अधिकारियों को बताया कि टेंट के व्यवसाय में उनके पति भी मदद
करेंगे।
हिरनई ग्राम की इलाहाबाद बैंक शाखा ने उनके
टेंट व्यवसाय का प्रकरण मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना में मंजूर कर दिया। क्रांति
को टेंट का व्यवसाय शुरू करने के लिए डेढ़ लाख रुपये मंजूर हुए। उन्होंने कड़ी मेहनत
करके टेंट व्यवसाय का संचालन किया और अपने टेंट हाउस के व्यवसाय को अच्छी स्थिति
में लाकर खड़ा कर दिया। अब उनके टेंट हाउस को उनके गाँव के अलावा आसपास के गाँव से
आर्डर मिल रहे हैं। अब उन्होंने अपने व्यवसाय के लिए एक लोडिंग ऑटो भी फायनेंस करा
लिया है। उनके इस व्यवसाय में अब दो स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार भी मिल रहा है।
क्रांति अब भी इलाहाबाद बैंक के ऋण की नियमित किस्त जमा
कराना नहीं भूलती हैं।
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