जीवन सफल होना पर्याप्त नहीं, सार्थक
होना जरूरी : मुख्यमंत्री श्री चौहान
श्री सत्य सांई सेवा संगठन के भक्त सम्मेलन में
शामिल हुए मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है
कि व्यक्ति का जीवन केवल सफल होना पर्याप्त नहीं है, बल्कि सार्थक
होना जरूरी है। समाज में नैतिकता की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा
कि शिक्षा व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जो इंसानियत का पाठ पढ़ाये और देवत्व को खोजने
की क्षमता प्रदान करे। मुख्यमंत्री आज यहाँ श्री सत्य सांई सेवा संगठन द्वारा
आयोजित भक्त सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
श्री चौहान ने कहा कि श्री सत्य सांई बाबा ने
सुखी मानवता का संदेश दिया है। सभी प्राणियों में देवत्व की क्षमता के दर्शन कराये
हैं। उन्होंने कहा कि काम, क्रोध, लोभ, मोह-माया
का त्याग कर मानवता की सेवा, भक्ति और साधना से ही देवत्व के दर्शन
होते हैं। मुख्यमंत्री ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था लागू करने और कुपोषण जैसी
समस्याओं के समाधान के लिये सत्य सांई सेवा संगठन को सहयोग के लिये आमंत्रित किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने श्री सत्य सांई बाबा
का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने छोटे से गाँव में रहते हुए दुनिया के कोने-कोने
तक मानव समाज में सेवा और स्नेह की भावना को पहुँचाया। श्री चौहान ने मानवता की
रक्षा के लिये श्री सत्य सांई बाबा के आदर्शों को अपनाने पर बल दिया। मुख्यमंत्री
ने इस अवसर पर प्रदेश में जन-कल्याण और विकास के क्षेत्र में किये जा रहे नवाचारों
से भक्तजनों को अवगत कराया।
श्री सत्य सांई सेवा संगठन के राष्ट्रीय
अध्यक्ष श्री निमिष पंडया ने संगठन की गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने
मध्यप्रदेश में नर्मदा सेवा और बाल विकास के क्षेत्र में सरकार को सहयोग देने का
आश्वासन दिया। संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष श्री भरत झवेरी ने बताया कि पिछले एक
वर्ष में संगठन द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में विशेष प्रयास किये गये
हैं। कार्यक्रम में लघु वृत्त चित्र 'मूवमेंट्स ऑफ लव एण्ड हयूमेनिटी'
का
प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर चार पुस्तकों का विमोचन किया।
सम्मेलन में सत्य सांई महिला महाविद्यालय की
चेयर पर्सन श्रीमती मीरा पिंपालापुरे, भेल के कार्यपालक निदेशक श्री डी.के.
ठाकुर, राष्ट्रीय समन्वयक श्रीमती कमला पंड्या, श्री जम्बू
भंडारी एवं बड़ी संख्या में श्री सांई संगठन के पदाधिकारी, सदस्य एवं
भक्तगण उपस्थित थे।
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