अध्यादेश- परिनियमों पर सहमति सही दिशा में
लिया गया कदम - राज्यपाल
विश्वविद्यालय शोध कार्यों पर अधिक ध्यान दें-
उच्च शिक्षा मंत्री
आगामी दीक्षांत समारोहों में उपयोग किया जाने
वाला गणवेश स्वीकृत
विश्वविद्यालय समन्वय समिति की 93वीं बैठक सम्पन्न
राज्यपाल श्री ओम प्रकाश कोहली ने आज यहाँ
राजभवन में आयोजित विश्वव़िद्यालय समन्वय समिति की 93वीं बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि सभी विश्वविद्यालयों के
अध्यादेश/परिनियमों को एकरूप करने की कार्यवाही में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
अधिकांश अध्यादेश-परिनियमों को लेकर सहमति बनी है, यह एक सही दिशा में लिया गया कदम है। श्री कोहली ने कहा कि
विश्वविद्यालयीन प्रणाली को विश्वसनीय एवं जवाबदेह बनाना होगा। इसके लिए
महाविद्यालयीन एवं विश्वविद्यालयीन सेवाओं को लोक सेवा गांरटी अधिनियम 2005 के अधीन लाना चाहिए। बैठक में उच्च
शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया, अपर मुख्य सचिव, उच्च
शिक्षा श्री बी.आर. नायडू, राज्यपाल
के प्रमुख सचिव डॉ. एम. मोहनराव,
प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा श्री संजय बंदोपाध्याय, आयुक्त उच्च शिक्षा श्री नीरज मंडलोई
तथा सभी शासकीय और निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित थे।
राज्यपाल श्री कोहली ने कहा कि विश्वविद्यालयीन
कार्यों के लिए आधुनिकतम तकनीक का अधिक से अधिक प्रयोग करना होगा। इससे कार्य की
गति बढ़ेगी और पारदर्शिता भी आयेगी। राज्यपाल ने कहा कि प्रतियोगिता के इस युग में
शिक्षा के विस्तार के साथ-साथ गुणवत्तापरक शिक्षा भी उपलब्ध कराना समय की मांग है
अन्यथा शिक्षित बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जायेगी।
उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया ने
कहा कि विश्वविद्यालयों के अध्यादेश और परिनियमों में एकरूपता लाने का प्रयास उच्च
शिक्षा की गुणवत्ता के लिये हितकर होगा। उच्च शिक्षा मंत्री ने शोध कार्यों पर बल
देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय अथवा महाविद्यालय सिर्फ परीक्षा कराने की मशीन नहीं
बनें। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसरों के वातावरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि
विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों में राष्ट्रीयता,समरसता और सदभाव का वातावरण मजबूत बनाने के लिये सभी सम्भव प्रयास
किये जायें।
बैठक में विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रचलित
अध्यादेशों एवं परिनियमों में एकरूपता लाने के लिए अध्यादेश क्र. 4ए4(सी), 4(डी), 5 एवं 16 तथा परिनियम क्र.1ए1-एए3ए26ए27ए28ए35ए36ए38 को छोड़कर सभी अध्यादेश एवं परिनियम को पारित करने के प्रस्ताव को
स्वीकृति दी गई। बैठक में दीक्षांत समारोह में छात्रों तथा अन्य गणमान्य
व्यक्तियों द्वारा पहने जाने वाले गणवेश में परिवर्तन संबंधी प्रस्ताव को स्वीकृति
दी गई तथा इसे तत्काल लागू करने का निर्णय लिया गया। बैठक में एन.एस.एस के
पाठ्यक्रम को इलेक्टिव विषय के रूप में शांमिल करने का निर्णय लिया गया। एनएसएस के
पाठ्यक्रम को वैकल्पिक विषय के रूप में स्नातक स्तर पर लागू किया जाएगा। यह
पाठ्यक्रम स्नातक स्तर के किसी भी विषय के साथ पढ़ाया जा सकेगा। पाठ्यक्रम में
एनएसएस,योग एवं कौशल
विकास को शामिल किया जायेगा जिसका अनुपात क्रमश: 50:25:25 रहेगा।
इंट्रीग्रेटेड यूनीवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम के
संबंध में बैठक में सभी राज्य विश्वविद्यालयों को केन्द्रीयकृत के स्थान पर
विकेन्द्रीकृत प्रणाली लागू करने की अनुमति देने तथा इस व्यवस्था को लागू करने के
लिए अधिकतम 6
माह की अवधि निर्धारित करने की अनुमति देने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया। बैठक
में देश के अन्य प्रदेशों से आने वाले 12वीं के उत्तीर्ण छात्रों को स्नातक के पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए
सभी विश्वविद्यालयों को स्कूल शिक्षा विभाग, मध्यप्रदेश शासन के अंतर्गत माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा विभिन्न
राज्यों/ बोडौं की परीक्षाओं को,
मण्डल की कक्षा 10
वीं एवं 12
वीं के समकक्ष समतुल्यता संबंधी निर्देशों एवं सूची को अंगीकृत कर प्रवेश देने का
निर्णय लिया गया। स्नातक एवं स्नातकोत्तर के सामान्य पाठ्यक्रमों में क्रमश: 5 व 3 वर्ष की अवधि की बाध्यता समाप्त करने का निर्णय लिया गया।
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