Tuesday 19 September 2017

अटल बिहारी बाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय की घटना के लिए सरकार का गैर जिम्मेदाराना रवैया



अटल बिहारी बाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय की घटना के लिए सरकार का गैर जिम्मेदाराना रवैया 

अटल बिहारी बाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में जिस तरीके से बिना किसी सूचना के तोड़फोड़ की गई वह सरकार के गैर जिम्मेदाराना रवैया को दर्शाता है। जहाँ एक तरफ मातृ भाषा हिंदी को बढ़ावा देने के लिये देश व प्रदेश में विभिन्न आयोजन किये जातें हैं वही दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के नाम पर बने विश्वविद्यालय को बिना किसी सूचना के तोड़ा जा रहा है।

घटना की जानकारी प्राप्त होते ही जन अधिकार संगठन के साथी मोहम्मद शमीम, दिनेश मेघानी, प्रदीप नापित, संजय मिश्रा, मनीष, रोहित सहित कई साथी श्री अक्षय हुंका के नेतृत्व में विश्वविद्यालय पहुंचा। वहां पहुंचकर पता चला कि विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण दस्तावेजों को भी कूड़े के ढेर में फेंक दिया गया था। वहां छात्रों ने बताया कि उनकी क्लास के बीच से उठाकर क्लास को तोड़ दिया गया।

जन अधिकार संगठन का प्रतिनिधिमंडल कल महामहिम राज्यपाल जी से मिलकर ये मांग करेगा की जब तक विश्वविद्यालय को चलाने के लिए वैकल्पिक जगह की व्यवस्था नहीं की जाती तब तक विश्वविद्यालय को नही तोड़ा जाये। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि विश्वविद्यालय के स्थानांतरण की प्रक्रिया से विद्यार्थियों की पढ़ाई, परीक्षा और अन्य कार्य प्रभावित न हो। विश्वविद्यालय को बेनजीर कॉलेज में स्थानांतरित करने की बात हुई है, इस प्रक्रिया को तेज किया जाए।

साथ ही पर्यटन मंत्रालय को सुनिश्चित करना चाहिए कि जब तक विश्वविद्यालय को स्थानांतरित नहीं कर दिया जाता तब तक विश्वविद्यालय के शिक्षकों, स्टाफ और विद्यार्थियों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो।

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.