मुम्बई और नई दिल्ली के बाद
इंदौर देश का तीसरा स्थान है, जहाँ पर सर्वाधिक अंगदान हुआ है। पिछले
दो साल में यहाँ के 26 लोगों ने अंगदान किया है जिससे 80 से
अधिक लोगों की जान बची है। इस वर्ष नवम्बर से इंदौर के एम.व्हाय. अस्पताल में
बोनमैरो ट्रांसप्लान्ट की प्रक्रिया शुरू होगी। दान में मिलने वाला शरीर यहाँ पर
मेडिकल के छात्रों के लिये अध्ययन में काम आएगा।
यह जानकारी आज इंदौर में सोसायटी फॉर
आर्गनडोनेशनल की संभागीय कार्यशाला में दी गई। कार्यशाला कमिश्नर इंदौर संजय दुबे
की उपस्थिति में सम्पन्न हुई। कार्यशाला में बताया गया कि भारत में हर वर्ष दो लाख
किडनी की आवश्यकता रहती है लेकिन मात्र 25 प्रतिशत ही मिल पाती हैं। अंगदान के
क्षेत्र में सबसे अच्छा काम स्पेन देश में चल रहा है।संजय दुबे ने कार्यशाला में
बताया कि इंदौर में अंगदान के क्षेत्र में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है। अंगदान
करने वाले और दान लेने वाले की ऑनलाइन पंजीयन की व्यवस्था है। पहले आओ-पहले पाओ के
आधार पर अंगदान दिये जाने की व्यवस्था है। अंगदाता परिवार की सहमति के बाद मृत
व्यक्ति का 24 घंटे में पोस्टमार्टम किया जाता है। उस समय
सरकारी डॉक्टर मौजूद रहता है। अंगदाता परिवार के दो व्यक्तियों को आजीवन स्वास्थ्य
बीमा का लाभ दिया जाता है। इस सुविधा में परिवार के दो सदस्यों का आजीवन मुफ्त
ईलाज होता है।
कार्यशाला में पुलिस महानिदेशक अजय कुमार शर्मा
ने बताया कि पिछले दो वर्ष में इंदौर में 26वाँ ग्रीन
कॉरीडोर बना जिसमें इंदौर ट्रॉफिक पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
कार्यशाला में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रचना
दुबे ने बताया कि कोई भी व्यक्ति जिसे कैंसर, डायबिटिज जैसी
घातक बीमारी नहीं है, वह अंगदान कर सकता है। अभी पिछले माह केरल में
एक तीन वर्षीय बच्ची का अंगदान हुआ। अंगदान से किडनी, लीवर, त्वचा,
छोटी
आँत पुन: काम में ली जाती है। भारत में किडनी की सर्वाधिक माँग है। सभी जागरूक
व्यक्तियों के सहयोग से इस माँग को पूरा किया जा सकता है। गर्भवती माताओं में भी
किडनी फेल होने की समस्या आ जाती है। उन्हें भी किडनी का प्रत्यारोपण किया जा सकता
है।
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