Tuesday 12 September 2017

मप्र में जमीन की हेरा-फेरी में बड़े घोटाले: कांग्रेस

मप्र में जमीन की हेरा-फेरी में बड़े घोटाले: कांग्रेस सरकारी जमीनों को लेकर हेराफेरी के मुद्दे पर सोमवार को विस में जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस ने सागर में खुरई रोड पर पट्टे की 27 एकड़ जमीन मात्र 35 करोड़ में बेचे जाने सहित अन्य मामले उठाए और सदन से वाकआउट किया।

प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस के महेंद्र सिंह कालूखेड़ा, हर्ष यादव सहित अन्य विधायकों ने आरोप लगाए कि सरकारी जमीन की हेरा-फेरी कर प्रदेश में बड़े-बड़े घोटालों को अंजाम दिया जा रहा है। खुरई रोड पर पट्टे की 27 एकड़ जमीन के मामले में राजस्व बोर्ड ने एक दिन में सुनवाई कर फैसला सुना दिया।

कलेक्टर की लिखित आपत्ति के बावजूद पंजीयन कार्यालय ने रजिस्ट्री भी कर दी। इस मामले में करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है। अशोकनगर व अन्य जगहों की जमीन के मामलों को उठाते हुए कांग्रेस ने सरकार ने राजस्व बोर्ड के अधिकार अपने हाथ में लेने और बोर्ड के जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करने की मांग की।

जवाब में राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने बताया कि सरकार बोर्ड के फैसलों की जांच नहीं कर सकती है। फैसलों को लेकर हाईकोर्ट में अपील की गई है। कालूखेड़ा ने 6 मार्च को 'नवदुनिया" में प्रकाशित खबर का जिक्र करते हुए कहा कि पट्टे की 27 एकड़ सरकारी जमीन 35 करोड़ रुपए में बिक गई।

भू-माफियों को राजस्व बोर्ड में संरक्षण दिया जा रहा है। अपील करने का राजस्व में सिस्टम है, लेकिन लोग सीधे राजस्व बोर्ड चले जाते हैं और वो सुनवाई करके फैसला भी सुना देता है। बोर्ड के फैसलों की जांच कराई जाए।

हर्ष यादव ने सागर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सुभाग्योदय डेवलपर्स ने नजूल के नाम दर्ज 27 एकड़ जमीन खरीद ली। ये मामला 500-600 करोड़ रुपए की बेशकीमती सरकारी जमीन का है। डॉ.गोविंद सिंह ने सवाल उठाया कि जब कलेक्टर ने लिखा कि पंजीयन न हो तो किसके दबाव में रजिस्ट्री की गई।

शहर के भीतर की जमीन का मामला है, इसमें करोड़ों रुपए का खेल हुआ है। इसमें मंत्री, विधायक, महापौर और अधिकारी शामिल हैं। भाजपा विधायक मानवेंद्र सिंह ने राजस्व मंत्री से पूछा कि राजस्व बोर्ड जब एक मामले में फैसला दे देता है तो उसमें परिवर्तन का अधिकार बोर्ड को है? जब मंत्री ने जवाब नहीं दिया तो उन्होंने कहा कि मेरे पास ऐसे उदाहरण हैं, मैं दे दूंगा।

राजस्व मंत्री ने जवाब में माना कि सागर कलेक्टर ने लिखा था कि रजिस्ट्री न की जाए। जब नामांतरण के लिए मामला सामने आया तो पता लगा कि रजिस्ट्री हो गई। हमने नामांतरण नहीं किया है। हाईकोर्ट में अपील की है।

राजस्व बोर्ड के खिलाफ जांच का अधिकार हमारे पास नहीं है लेकिन मुख्यमंत्री ने उसके कामकाज का अध्ययन करने के लिए कहा है। भूमि सुधार आयोग को काम सौंपा है, रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई करेंगे। मंत्री ने जब किसी पर कार्रवाई करने का आश्वासन नहीं दिया तो विपक्ष ने बहिर्गमन कर दिया।

मैनेज होकर दिए जाते हैं फैसले

कालूखेड़ा ने बड़ा आरोप लगाया कि राजस्व बोर्ड सरकार के हितों के खिलाफ फैसले दे रहा है। यह राजस्व बोर्ड की कुछ आदत है,जो मैनेज हो जाते हैं और इस प्रकार के फैसले देते हैं। बोर्ड ने अशोकनगर में चार भूमियों के मामले में भू-माफियाओं को संरक्षण दिया है।

16 सौ एकड़ जमीन का घोटाला

बसपा विधायक ऊषा चौधरी ने सतना की सरकारी जमीन का मामला उठाते हुए आरोप लगाया कि राजस्व विभाग के अधिकारी व पटवारियों ने भू-माफियाओं के साथ मिलकर 16 सौ एकड़ सरकारी जमीन का घोटाला किया है। कार्रवाई सिर्फ पटवरी पर हुई। हालांकि, राजस्व मंत्री ने कहा कि चार के खिलाफ कार्रवाई की गई है


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