दृष्टिहीन रमेशचंद का चंद घंटों में बना आधार कार्ड
आधार-कार्ड में आँखों का चित्र भी लेते हैं। रेटीना डेमेज होने के कारण कार्ड बनने में परेशानी आ रही थी। आज मुख्यमंत्री ने नियमों की जाँच करने और तदनुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिये। कलेक्टर के निर्देश पर ई-गवर्नेंस अधिकारी हितेष कुमार स्वयं रमेशचन्द को आधार कार्यालय ले गये और नियमों की जाँच में पता चला विकलांग व्यक्तियों का आधार-कार्ड बनने में कोई परेशानी नहीं आनी चाहिये। पूरी खानापूर्ति के बाद रमेशचन्द का आधार-कार्ड अब उसके हाथों में है।
रमेशचन्द खुश हैं कि अब उन्हें उन सभी योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा, जो विकलांगों और कमजोर वर्ग के लिये संचालित हैं। रमेशचन्द ने देहरादून से साढ़े 4 साल का कोर्स किया था, जिसमें कपड़ा, कुर्सी बुनना और मोमबत्ती बनाना सीखा था। वह कहते हैं उनके परिवार में 6 बेटियाँ हैं। आधार-कार्ड मिलने के बाद योजनाओं का लाभ लेकर वह अपना रोजगार स्थापित करेंगे, जिसमें परिवार के सदस्य भी काम कर अच्छा जीवन बितायेंगे।
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