युवा स्वामी विवेकानंद के विचारों को आत्मसात
करें
"राष्ट्र-प्रेम उत्सव'' में उच्च शिक्षा
मंत्री श्री पवैया
उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया ने
युवाओं से स्वामी विवेकानंद के विचारों को आत्मसात करने का आव्हान किया। उन्होंने
कहा कि युवाओं को स्वामी जी के बारे में पढ़कर उनको समझना होगा। प्रतीकात्मक
देशभक्ति अपनी जगह है, लेकिन देशभक्ति जीने की चीज है। श्री पवैया आज
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के ज्ञान-विज्ञान भवन में 'राष्ट्र-प्रेम
उत्सव'' को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम स्वामी विवेकानंद द्वारा विश्व धर्म
संसद, शिकागो, अमेरिका में दिए गये ऐतिहासिक सम्भाषण की 125वीं
वर्षगाँठ एवं राष्ट्र कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' जयंती के पावन
अवसर पर आयोजित किया गया था।
श्री पवैया ने कहा कि भारत अपने विचारों और
संस्कृति के बल पर विश्व गुरु बनेगा। उन्होंने स्वामी जी के संस्मरण सुनाते हुए
कहा कि शिकागों में स्वामी जी के भाषण के बाद वहाँ के पुस्तकालय में सनातन वैदिक
धर्मों की पुस्तक तलघर में होने पर कहा था कि पुस्तकों के लिए सही स्थान का चयन
किया गया है, क्योंकि सनातन वैदिक धर्म ही सभी धर्मों की
नींव/बुनियाद हैं। श्री पवैया ने राष्ट्र कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' के
बारे में बताया कि वे स्वाभिमान और राष्ट्रीय चेतना के कवि थे। श्री पवैया ने इस
मौके पर महात्मा गांधी के भारत की स्वतंत्रता के संकल्प को भी युवाओं को याद
दिलाया। श्री पवैया ने कहा कि राष्ट्र भक्ति ही धर्म है। युवा जो राष्ट्र से
प्राप्त करते हैं उसे लौटाने की भी आवश्यकता है।
सांसद श्री आलोक संजर ने कहा कि स्वामी
विवेकानंद ने 125 साल पहले भारत का मान-सम्मान विश्व में बढ़ाया
था। उन्होंने स्वामी जी के शिकागों यात्रा पर जाने के पूर्व उनकी गुरु माँ द्वारा
दी गई सीख से युवाओं को अवगत करवाया।
विश्व भारती शांति निकेतन के प्राध्यापक डॉ.
सुभाष चन्द्र राय और साहित्य-सेवी डॉ. अभय कुमार सिंह ने दिनकर के प्रसंग सुनाए।
रामधारी सिंह 'दिनकर' न्यास दिल्ली के श्री नीरज कुमार ने
अतिथियों का स्वागत किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रमोद कुमार वर्मा ने भी
कार्यक्रम को संबोधित किया। इस मौके पर अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा श्री बी.आर.
नायडू और विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. उदयनारायण शुक्ल भी मौजूद थे। श्री मुन्ना
पाठक ने दिनकर गान की प्रस्तुति दी। अतिथियों का स्वागत अंग-वस्त्र और पुस्तकों से
किया गया और स्मृति-चिन्ह भेंट किए गये। शुरूआत में विश्वविद्यालय की छात्राओं ने
सरस्वती वंदना एवं मध्यप्रदेश गान गाया। अंत में रंगकर्मी श्री मुजीब खान के
नेतृत्व में नाट्य मंचन भी हुआ।
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